Congress Leaders Meets Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस (Congress) के जी 23 समूह (G-23 Group) में शामिल तीन प्रमुख नेताओं आनंद शर्मा (Anand Sharma), भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) और पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) ने मंगलवार को गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की और उनसे उनके इस्तीफे के कारणों और परिस्थितियों को लेकर चर्चा की.
 
गुलाम नबी आजाद के आवास पर ये तीनों नेता आज दोपहर पहुंचे और उनके साथ लंबी बैठक की. बैठक के बाद इन तीनों नेताओं में से एक नेता ने कहा कि यह गुलाम नबी के साथ शिष्टाचार मुलाकात थी. निजी रूप से कई बातें होती हैं जिनके बारे में नहीं बताया जा सकता. इतना जरूर है कि हमने यह जानने का प्रयास किया कि आखिर किन वजहों के कारण आजाद साहब को इतना बड़ा कदम उठना पड़ा.


एक दूसरे पर कीचड़ उछालना करें बंद
इन नेताओं ने कहा कि हमें इस बात का दुख है कि किस तरह से आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि लोग अब एक दूसरे पर कीचड़ उछालना बंद कर देंगे. सभी वरिष्ठ नेताओं का सम्मान होना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं तो उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि चुनाव हो. चुनावों में दो साल का विलंब हुआ लेकिन अब वहां चुनाव हो रहा है. हमें सोनिया जी पर भरोसा है. हम लोग तो यही चाहते थे कि कोई भी अध्यक्ष बने, लेकिन चुनाव के जरिये बने. अगर राहुल गांधी जी भी चुनाव के जरिये अध्यक्ष बनते हैं तो अच्छा है. 


इस्तीफे के बाद बैठक कर रहें है सभी नेता
गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के बाद चारों नेताओं ने पहली बार एक साथ बैठक की है. ये वही नेता हैं जिन्होंने अगस्त, 2020 में बैठक कर सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने पार्टी को फिर से मज़बूत करने के लिये कई मांगें की थी. उन मांगों में संगठन का चुनाव कराने और उसके सक्रिय नेतृत्व की मांग प्रमुख थी. उनके इस पत्र को कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती के रूप में देखा गया.


इस समूह के कई नेता जैसे आजाद, कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal), जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) कांग्रेस (Congress) छोड़ चुके हैं तो वहीं वीरप्पा मोइली (Veerappa Moily) जैसे नेताओं ने इस समूह से खुद को अलग कर लिया है. आजाद ने पिछले वर्ष शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया था. सोमवार को उन्होंने अपने पुराने दल और उसके नेतृत्व पर तीखा प्रहार करते हुए कहा था कि ‘बीमार’ कांग्रेस को दुआ की नहीं, दवा की जरूरत है, लेकिन उसका इलाज कंपाउडर कर रहे हैं.


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