Lok Sabha Election 2024: गोवा में दो लोकसभा सीटों के चुनाव की तैयारियों और प्रचार के बीच दो समाज में तनाव बढ़ने से मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत आलोचनाओं के घेरे में आ गए. सीएम गोवा प्रमोद सावंत को राज्य के सैंक्वेलिम इलाके में भंडारी समाज की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.


मध्य गोवा के सैंक्वेलिम इलाके में पालकी उत्सव के दौरान रुद्रेश्वर मंदिर में मराठा और भंडारी समाज के बीच झड़प हो गई. इस घटना में पुलिस के हस्तक्षेप से मराठा और भंडारी समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया. उनका आरोप है कि पुलिस की ओर से उचित कार्यवाही नहीं किए जाने से भंडारी समाज में पुलिस और गोवा सरकार के विरोध में  नाराजगी बढ़ा दी है.


मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के खिलाफ नारेबाजी


भंडारी समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के खिलाफ नारेबाजी करते हुए गंभीर आरोप लगाए और पालकी जुलूस के दौरान हुई अराजकता के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया. आरोप के मुताबिक पुलिस की मौजूदगी के बावजूद पालकी उत्सव के समय दूसरी जाति के लोगों ने भंडारी जाति के सदस्यों पर हमला किया, जिससे हिंसक झड़प हुई. समुदाय के नेताओं ने दावा किया कि पुलिस ने स्थिति को संभालने के नाम पर लाठी और जूते पहनकर मंदिर में प्रवेश करके पवित्रता को भंग किया. 


मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के अपने निर्वाचन क्षेत्र में हुई इस घटना ने न केवल भंडारी समुदाय के भीतर आक्रोश को बढ़ाया है, बल्कि विपक्षी नेताओं ने भी इसकी कड़ी निंदा की है. गोवा आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अमित पालेकर जो खुद भंडारी समाज से आते हैं, वो घटना के बाद मंदिर पहुंचे. गोवा आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अमित पालेकर ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से भंडारी समाज के खिलाफ जाने के लिए पुलिस को खुली छूट देने पर सवाल उठाया.


अमित पालेकर का सीएम प्रमोद सावंत पर आरोप


अमित पालेकर ने कहा, "पुलिस का यह कृत्य न केवल भंडारी समाज के विरुद्ध है, बल्कि हिंदू संस्कृति के विरुद्ध भी है. जब झड़प हुई उस समय परिसर में पुलिस मौजूद थी, लेकिन उन्होंने झड़प को रोकने की कोशिश नहीं की. इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत राज्य में हिंदू समुदाय को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसा कि बीजेपी पूरे देश में कर रही है."


अमित पालेकर ने कहा, "मैं स्वयं भंडारी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि भंडारियों के खिलाफ सरकार क्यों है? लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही भंडारी समाज ने स्पष्ट रूप से निर्णय ले लिया है कि वे मुख्यमंत्री या बीजेपी के साथ खड़े नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें अपने खिलाफ हुए अत्याचार का एहसास हो गया है. पहले उन्होंने भंडारी समुदाय के नेताओं को निशाना बनाया, उनके पीछे ईडी भेजकर और अब उनके अनुष्ठानों में बाधा डालकर हमारे समुदाय की सुरक्षा को खतरे में डाला जा रहा है."


भंडारी नेताओं की बीजेपी से मोहभंग- कांग्रेस


गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सुनील कवथंकर ने भारी सुरक्षा उपायों के बावजूद झड़प को रोकने में बीजेपी सरकार की विफलता की आलोचना की. उन्होंने राज्य में धार्मिक विभाजन की कोशिशों की विडंबना की ओर इशारा किया, जो अपनी एकता के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा, "आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस घटना के परिणाम बहुत गंभीर हैं. कई भंडारी नेताओं ने बीजेपी से अपने मोहभंग की खुलेआम घोषणा की है, जो राजनीतिक निष्ठाओं में संभावित बदलाव का संकेत है."


गोवा की हिंदू आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भंडारी समुदाय चुनावी नतीजों में काफी प्रभाव रखता है. अपने वोटिंग पावर के साथ, वे किसी भी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ लहर को मोड़ने की क्षमता रखते हैं. भंडारी समुदाय की चिंताओं के प्रति बीजेपी के खारिज करने वाले रवैये और सैंक्वेलिम में स्थिति को ठीक से न संभालने के कारण असंतोष की लहर उठी है, जो महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के समर्थन को झटका दे सकती है.


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