Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 मार्च) को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायपालिका अपनी शक्तियों का इस्तेमाल वकीलों को चैंबर बनाने के लिए जमीन देने के लिए करेगी तो इससे गलत संदेश जाएगा. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई की. दरअसल, एससीबीए के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह की ओर से लगाई गई इस याचिका पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले का न्यायिक हल निकालने की जगह बार एसोसिएशन को कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए कि सरकार से इस विषय पर बात की जाएगी.


जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि वकील हमारे संस्थान का हिस्सा हैं. क्या हमें अपने समुदाय की रक्षा के लिए न्यायिक निर्देशों का इस्तेमाल करना चाहिए? यह बहुत ही गलत संदेश भेजता है कि न्यायपालिका अपनी शक्तियों का इस्तेमाल जमीन पाने के लिए कर रही है. आज यह जमीन है, कल कुछ और होगा. ऐसा नहीं लगना चाहिए कि कोर्ट अपनी न्यायिक शक्तियों का इस्तेमाल अपने हिसाब से कर रही है. हालांकि, एससीबीए की ओर से उठाए गए मुद्दे को सही मानते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमें चिंता नहीं है. हम इस बारे में सरकार से बात करेंगे. हमारी जरूरतें बढ़ रही हैं और हम उन्हें अपनी मांगों के लिए मनाने की कोशिश कर सकते हैं.


प्रशासनिक तरीके से ही निकलेगा हल- अटॉर्नी जनरल


अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रशासनिक प्रक्रिया के लचीलेपन का एक खास फायदा है. कोर्ट में हम हार सकते हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर बातचीत काफी आगे तक जाती है. वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कोर्ट में कहा कि हमारी इकलौती चिंता ये है कि मामले को किनारे न कर दिया जाए. याचिका दाखिल करने का उद्देश्य सरकार के साथ बातचीत शुरू करना ही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार हमारी जरूरतों को प्रशासनिक स्तर पर बहुत सावधानी से लेती है. न्यायपालिका को बिना कटौती के 7000 करोड़ रुपये दिए गए हैं, क्योंकि केंद्र ने महसूस किया कि ये समय की जरूरत है. ये ऐसे मामले हैं जिन पर हमें लगातार सरकार के साथ जुड़ना चाहिए.


क्या है मामला?


अगस्त 2022 में एससीबीए ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर वकीलों के चैंबर बनाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को 1.33 एकड़ जमीन दिए जाने के निर्देश देने की मांग की थी. इससे पहले इसी साल 2 मार्च को विकास सिंह सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने पेश हुए थे और कई बार बताए जाने के बावजूद मामले की सुनवाई न होने की शिकायत की. इस दौरान वरिष्ठ वकील सिंह ने तेज आवाज में कहा था कि जजों के घर के बाहर वकीलों का प्रदर्शन शुरू हो सकता है. जिस पर सीजेआई ने सिंह से अपनी आवाज कम करने के लिए कहा था और चेतावनी दी थी कि इस तरह का व्यवहार सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलेगा. 


इसके बाद कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल ने सीजेआई से माफी मांगी. इसके बाद एससीबीए के सदस्यों ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें दोनों वरिष्ठ वकीलों पर मामले को कमजोर करने को लेकर माफी की मांग की गई थी. इस मामले पर पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि वरिष्ठ वकीलों का माफी मांगना सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाए रखने के लिए था. मैं निवेजन करता हूं कि उनके खिलाफ प्रस्ताव न पेश हों, जिससे दो गुटों के बीच शत्रुता बढ़े.


शुक्रवार को हुई सुनवाई के बाद एससीबीए की ओर से सीजेआई को फैसला सुरक्षित रखने के लिए एक धन्यवाद पत्र जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि 70 साल के इंतजार के बाद बार की एक बड़ी जीत है. 


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