WHO Accuses China: दुनिया में कोविड ने साल 2020 में दस्तक दी थी. ये घातक कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में पाया गया था. 3 साल बाद अब द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चीनी अधिकारियों को वैज्ञानिक अनुसंधान रोकने के लिए फटकार लगाई, जिससे कोरोना वायरस के पैदा होने के बारे में पता चल सकता था.


चीन पर कोविड डेटा में बदलाव करने का आरोप लगता रहा है. दुनियाभर के देशों से चीन ने लगातार खरी-खोटी सुनी है. ज्यादातर देशों ने कोविड वायरस के लिए चीन को ही दोषी ठहराया. चीन ने कोविड की सबसे पहले जानकारी 31 दिसंबर 2019 को दी थी.


डेटा का खुलासा नहीं करने के कारणों के बारे में पूछा
WHO ने शुक्रवार (17 मार्च) को चीनी अधिकारी से तीन साल पहले डेटा का खुलासा नहीं करने के कारणों के बारे में पूछा. इससे पहले कि डेटा इंटरनेट स्पेस में गायब हो जाता, वायरस विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने डेटा को डाउनलोड किया और शोध का विश्लेषण करना शुरू कर दिया. डेटा के विश्लेषण से पता चला कि महामारी अवैध रूप से रैकून कुत्तों से शुरू से हुई थी, जिसने चीन के वुहान हुआनान सीफूड होलसेल मार्केट में इंसानों को संक्रमित किया.


द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार जब विशेषज्ञों ने अपने चीनी समकक्षों के साथ विश्लेषण पर सहयोग करने की पेशकश की तो टीम अंतिम परिणाम तक नहीं पहुंच सकी क्योंकि वैज्ञानिक डेटाबेस से जीन अनुक्रम हटा दिए गए थे.


नए कोरोनोवायरस के भी सबूत मिले
WHO के डायरेक्टर डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने कहा कि चीन को तीन साल पहले गायब किए गए सबूत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ शेयर करना चाहिए, क्योंकि ये हमारे लिए बहुत जरूरी है. ये तब और भी जरूरी हो गई, जब विशेषज्ञ टीम को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी.


रिसर्च से ये बात पता चलती है कि कोरोना वायरस फैलाने के पीछे लोमड़ी जैसे दिखने वाले रेकून कुत्ते के डीएनए मेल खाता है. इसी बीच नए कोरोनोवायरस के कुछ और सबूत वुहान बाजार से मिलें है, जो कुछ और तरह के जानवरों से जोड़कर देखा जा रहा है. इसे और भी लोग संक्रमित हो गए.


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