Citizenship Amendment Act: संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है. इस बीच असम का संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने बुधवार (28 फरवरी, 2024) को घोषणा की कि सीएम लागू होने के अगले ही दिन राज्यव्यापी बंद बुलाया जाएगा. इसको लेकर डीजीपी ज्ञानेंद्र तिवारी ने कहा कि इससे होने वाले नुकसान की भरपाई बंद बुलाने वालों से की जाएगी.


डीजीपी ज्ञानेंद्र तिवारी के बयान पर पलटवार करते हुए विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि डीजीपी कौन हैं? उन्होंने कहा, ''सीएए लागू नहीं होगा तो कोई समस्या नहीं है. आप (केंद्र सरकार) कोई दमनकारी कानून लाती है और हम इसका विरोध प्रदर्शन करते हैं तो हमें दंडित किया जाएगा.


उन्होंने आगे सवाल करते हुए कहा, ''इस नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है. बीजेपी या हम? ये लोग 15 से 20 लाख बांग्लादेश के लोगों को नागरिकता देने का प्लान कर रहे हैं और हम आंदोलन भी नहीं कर सकते. डीजीपी कौन हैं?"' 


डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने क्या कहा?
डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले के दो पेज की फोटो को पोस्ट करते हुए लिखा, ''कहने की जरूरत नहीं है कि असम की जीएसडीपी 5,65,401 करोड़ रुपये आंकी गई है. एक दिन के बंद से लगभग 1,643 करोड़ रुपये का नुकसान होगा जो माननीय गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के पैरा 35(9) के अनुसार ऐसे बंद का आह्वान करने वालों से वसूला जाएगा.''






ये ऐसे समय में सामने आ रहा है जब न्यूज एजेंसी पीटीआई ने हाल ही में सूत्रों के हवाले से बताया था कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करने को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बोल चुके हैं कि सीएए को लागू करने से कोई नहीं रोक सकता. 


सीएए में क्या प्रावधान है?
सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में बसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित अन्य गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना है.  बता दें कि कांग्रेस और टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी ऐसा असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कर रही है. 


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