केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संसोधन अधिनियम CAA को लागू कर सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय मार्च के पहले हफ्ते में इसे लेकर अधिसूचना जारी कर सकती है. 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले मार्च के पहले हफ्ते में मोदी सरकार नागरिकता संसोधन अधिनियम के नियमों को लागू कर सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान मार्च के दूसरे हफ्ते में कर सकता है. 


आचार संहिता से पहले लागू होगा CAA?


माना जा रहा है कि आदर्श आचार संहिता (MCC) की घोषणा से पहले CAA लागू किया जा सकता है. क्योंकि आचार संहिता लागू होने के बाद आम तौर पर सरकार कोई बड़ी घोषणा नहीं कर सकती. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''मैं आपको तारीख नहीं बता सकता, लेकिन आचार संहिता लागू होने से पहले इसे अधिसूचित कर दिया जाएगा.''


2019 में संसद से मिली थी हरी झंडी


CAA के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी मुस्लिम-बहुल देशों से आए हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनियों और पारसियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. यह दिसंबर 2019 में संसद से पारित हो गया था. इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई थी. लेकिन CAA को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. हालांकि, कोरोना के चलते विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गए थे. हालांकि, CAA की नियमावली अधिसूचित नहीं होने की वजह से इसे लागू नहीं किया जा सका था.


अमित शाह ने भी दिए थे संकेत


इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 10 फरवरी को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था, ''CAA देश का कानून है. इसे अगले आम चुनाव से पहले अधिसूचित किया जाएगा. इसके बारे में किसी को भ्रम नहीं होा चाहिए.'' उन्होंने कहा था, CAA को लागू करने के नियम लोकसभा चुनाव से पहले जारी कर दिए जाएंगे. इसके जरिए भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी.


CAA से किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी- शाह


इतना ही नहीं शाह ने इस दौरान विपक्ष पर भी निशाना साधा था. अमित शाह ने कहा था, ''हमारे मुस्लिम भाइयों को इस मुद्दे पर भड़काया जा रहा है. इसके जरिए किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी. इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, ये उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए और भारत आकर शरण ली.


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