Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत को लेकर अब सरकार की चिंता बढ़ गई है. सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है. लगातार चर्चा होने के बाद बताया जा रहा है कि अब बचे हुए चीतों को मध्य प्रदेश के ही दूसरे पार्क में छोड़ने की प्रक्रिया पर जोर दिया जा रहा है. अफ्रीका से लाए गए चीतों में से अब तक 6 की मौत हो चुकी है. लगातार यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि आखिर चीतों की मौत का कारण क्या है. सुप्रीम कोर्ट भी चीतों को कहीं और शिफ्ट करने की बात कह चुका है. 


चीतों को नवंबर महीने के पहले मंदसौर केगांधी सागर सैंक्चुरी में बसाने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा कुछ चीतों को नौरादेही सैंक्चुरी में छोड़ा जा सकता है. भोपाल में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और प्राधिकरण के सदस्यों के बीच चीतों की शिफ्टिंग को लेकर चर्चा हुई. हालांकि, सवाल ये है कि क्या गांधी सागर और नौरादेही में चीते सुरक्षित रह पाएंगे?


भारतीय वन्यजीव संस्थान की एक्सपर्ट कमेटी ने चीतों को भारत लाने से पहले साल 2020 में 6 जगहों को चुना था और उनका परीक्षण भी किया था. इनमें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, राजस्थान का शेरगढ़ वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, गांधी सागर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, कुनो नेशनल पार्क, माधव नेशनल पार्क और मध्य प्रदेश का नौरादेही वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी शामिल थे. 


कूनो नेशनल पार्क को माना गया था सबसे अनुकूल


इन सभी में से कूनो नेशनल पार्क को चुना गया था. इससे पहले साल 2021 में कूनो को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई थी.  इस रिपोर्ट में कूनो को चीतों के लिए सबसे अनुकूल माना था. अब ऐसे में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले इस पार्क में अब तक 6 चीतों की मौत हो चुकी है तो चिंता इस बात की है कि किसी और जगह पर चीते सुरक्षित कैसे रह सकेंगे. 


गांधी सागर और नौरादेही में चीतों को न रखने का मुख्य कारण शिकार की कमी और जगह का तापमान थे. साल 1948 में आखिरी बार देश में चीते देखे गए थे और इनका भी शिकार हो गया था. ऐसे में अफ्रीकी देश नामीबिया (Namibia) से लाए जा रहे चीतों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाना था. मध्य प्रदेश की कूनो-पालपुर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी को इसके लिए सबसे सुरक्षित माना गया था. क्यों गांधी सागर और नौरादेही को नहीं चुना गया?


गांधी सागर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी


गांधी सागर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी को लेकर 24 से 25 नवंबर 2020 तक एक साइट मूल्यांकन किया गया था. इसमें कहा गया था कि इस क्षेत्र में चीतों के लिए शिकार की कमी होगी. साथ ही रहने की गुणवत्ता और पार्क प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर भी सवाल खड़ा किया था. मूल्यांकन में कहा गया था कि वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी में सुरक्षा को बढ़ाने की आवश्यकता है. क्षेत्र में रहने वाले समुदाय भी मांसाहारी है. वन विभाग तब इस बात पर जोर दे रहा था कि वर्तमान में अवैध शिकार कोई समस्या नहीं है.


नौरादेही वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी 


अब बात करते हैं मध्य प्रदेश के सागर, दामोह, नरसिंहपुर जिले के बीच स्थिति नौरादेही वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी की. क्षेत्रफल 1197.04 वर्ग किलोमीटर, ऊंची-नीची पहाड़ियां, बांधवगढ़ नेशनल पार्क तक जुड़ी सीमा. यहां बारिश भी 1552 तक होती है और तापमान भी मुश्किलों भरा नहीं है. शिकार के लिए नीलगाय, चीतल, सांभर, चिंकारा, हिरण और जंगली सूअर मौजूद हैं लेकिन बेहतर मैनेजमेंट की जरूरत है. गर्मियों में पानी की किल्लत एक बड़ी समस्या है. यहां इंसानी आबादी भी बहुत है. 


भारत कब लाए गए थे चीते?


चीतों का पहला जत्था पिछले साल सितंबर के महीने में नामीबिया से भारत आया था. जिसमें आठ चीते शामिल थे और इन्हें 17 सितंबर को पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. इसके बाद इसी साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे और उन्हें भी कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था.


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