कोविड 19 के चलते लगे लॉकडाउन के बाद ऐसे कई राज्य और शहर हैं जहां पर बच्चों की पढ़ाई छूट गई है. इसी के चलते एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन ने एक रिसर्च असम में की जहां उन्होंने पाया कि यहां हर दो सरकारी स्कूल के छात्रों में से केवल एक के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्मार्टफोन है, स्मार्टफोन की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई बीच में ही छूट रही है.
वहीं गुवाहाटी से करीब 50 किलोमीटर दूर दारांग जिले के कुरुआ गांव में रहने वाली दसवीं कक्षा की छात्रा डिंपी ने बताया कि उसके घर से महज 200 मीटर की दूरी पर एक 4जी मोबाइल इंटरनेट टावर बना हुआ है. फिर भी डिंपी ने स्मार्टफोन की कमी के चलते पिछले 15 महीनों में एक भी ऑनलाइन कक्षा में हिस्सा नहीं लिया है.
दरअसल डिंपी के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं इसलिए वो स्मार्टफोन नहीं खरीद सकते हैं. हालांकि, डिम्पी ने बताया कि वो अपने पिता के साधारण मोबाइल पर एफएम नेटवर्क पर प्रसारित कुछ कक्षाओं की जानकारी लेती रही है. वहीं असम में सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में 60 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, लेकिन स्कूल बंद होने और स्मार्टफोन की कमी के चलते लाखों बच्चों की पढ़ाई खतरे में पढ़ गई है.
शिक्षा से विमुख हुए गांव के 10 से 12 बच्चे
डिंपी ने बताया कि उसके पास टीवी या मोबाइल नहीं है, और उसके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं, इसलिए वो इन चीजों को नहीं खरीद सकती है. साथ ही डिंपी ने बताया कि उसके गांव में ऐसे 10 से 12 छात्र हैं, जिनकी पढ़ाई स्मार्टफोन न होने की वजह से रुक गई है.
डिंपी के पिता ने जताई चिंता
जानकारी के मुताबिक डिंपी दास उन हजारों छात्रों में शामिल हैं, जो ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित चल रहे हैं. डिंपी के पिता कारगेश्वर दास ने बताया कि डिंपी की पढ़ाई पूरी न होने से वो काफी चिंतित हैं, साथ ही कहा कि अगर कोविड की वजह से स्कूल नहीं खुले तो बच्चे अपने पाठ्यक्रम को जारी रखने में असफल हो जाएंगे.