Assam Flood: असम (Assam) में तकरीबन 2 महीने से कई जिलों में बाढ़ आई हुई है और कुछ जगहों पर जहां पानी कम हुआ है वहां तबाही की तस्वीरें लोगों की बेबसी बयान कर रही हैं. दिल्ली से कई सौ किलोमीटर दूर एबीपी न्यूज (ABP News) की टीम इन दिनों असम (Assam Flood) के इन बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुंची हुई है. 


असम के धेमाजी जिले में लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. बाढ़ का पानी इन इलाकों को बहुत नुकसान पहुंचा चुका है. यहां पर लोगों का जीवन ठहर सा गया है. गांव के भीतर चारों तरफ पानी ही पानी है. लोगों के घरों में पानी भरा था. हर घर के आगे एक नाव खड़ी है.


मूलभूत सुविधाओं की कमी
असम में कई इलाके ऐसे हैं जहां साल में तकरीबन 6 से 7 महीने  बाढ़ का खतरा या बाढ़ का पानी रहता ही रहता है. कुछ लोग ऐसे हैं जिनका कहना है कि उन्होंने अपने जन्म से ही ऐसी तस्वीर अपनी आंखो के सामने देखी है. गांव में कनेक्टिविटी और संसाधन की बहुत ज्यादा कमी थी. 


एक परिवार से बात करने पर पता चला कि सरकार की ओर से कल उनको थोड़ी सी मदद मिली थी. मदद में थोड़ा चावल और तेल दिया गया था. एक बुजुर्ग ने बताया कि बाढ़ की वजह से  उन्होंने जानवरों को उंचाई पर बांध रखा है. 3 दिनों से लगातार घरों में पानी भरा हुआ है. खाना भी नहीं है, पानी भी नहीं है, दवाइयां भी नहीं है. बाढ़ के बीच लोगों में खाने-पीने की भी कमी है. 


कई बार गुहार फिर भी नहीं बना पुल
वहीं गांव में पुल की बड़ी भारी समस्या है. यहां पर एक पुल बंबू से बना हुआ है. लोगों को इस पुल से गुजरने के लिए आधा रास्ता पानी से गुजर कर जाना पड़ता है. गांव के लोगों ने सरकार से कई बार पुल बनाए जाने की मांग की लेकिन उन लोगों को अबतक कोई मदद नहीं मिल पाई है. 


महिलाओं के सामने कई समस्याएं
गांव की महिला रूबीना ने कहा कि यहां महिलाओं की अलग समस्याएं हैं. उनको नाव चलानी नहीं आती है. उनका बच्चा जब बीमार होता है तो दूर-दूर तक कोई भी मेडिकल सेंटर नहीं है. कई किलोमीटर दूर शहर में  जाना पड़ता है  जिससे उनको दवा दी जा सके. गांव तक तो एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है. 


बड़े होकर फौज में जाना चाहते हैं बच्चे
गांव के बच्चों में देश सेवा को लेकर जुनून दिखा. गांव के बच्चों ने कहा कि वो आर्मी (Indian Army) में जाना चाहते हैं. वो पढ़ने के लिए जाते हैं लेकिन गांव से बाहर लेकर जाने वाले रास्ते कच्चे हैं. बच्चों की मांग है कि इन सभी बच्चों को कम से कम गांव में ही कनेक्टिविटी और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा दी जाए.


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