मुंबई: दाऊद इब्राहिम की कई सारी संपत्तिया मंगलवार को नीलाम हो गई. नीलाम की गई संपत्तियों में दाऊद के बचपन की पुश्तैनी हवेली भी शामिल है. रत्नागिरी जिले में मौजूद पुश्तैनी हवेली में दाऊद का बचपन बीता था. हवेली के साथ उसका भावनात्मक लगाव रहा है.


दाऊद के बचपन की पुश्तैनी हवेली नीलाम


हवेली को दिल्ली के एक वकील अजय श्रीवास्तव ने 11 लाख 20 हजार में खरीदा है. लेकिन दाऊद की संपत्ति पर बोली लगा लेने और जीत जाने भर से बात खत्म नहीं होती. सवाल उठता है संपत्ति पर कब्जे का. क्या खरीददार आसानी से दाऊद की संपत्ति पर कब्जा हासिल कर पाता है? अजय श्रीवास्तव का क्या कहना है आइए जानते हैं.


रत्नागिरी के मुंबके गांव में मौजूद खंडहरनुमा हवेली के मालिक अजय श्रीवास्तव बन गए हैं. ये दो मंजिला हवेली 27 गुंठा जमीन पर फैली हुई है और 80 के दशक के मध्य तक दाऊद इब्राहिम का परिवार रहा करता था. अब अजय श्रीवास्तव इसके मालिक बन गए हैं. उनका कहना है कि हवेली को तुड़वा कर सनातन शिक्षा का केंद्र बनाएंगे. 


हवेली को वित्त मंत्रालय ने तस्करी रोकने वाले कानून सफेमा के तहत जब्त किया था और अभी यह वित्त मंत्रालय के ही कब्जे में है. इसलिए हवेली पर कब्जा हासिल करने की खातिर अजय श्रीवास्तव को कोई दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन इस हवेली से पहले साल 2001 में उन्होंने दाऊद की एक और संपत्ति पर बोली लगाई थी और उसे जीत गए थे. वो संपत्ति मुंबई के नागपाड़ा इलाके की दो दुकानें थी. अजय श्रीवास्तव आज तक उन दुकानों पर कब्जा हासिल नहीं कर पाए हैं.


कब्जे में नहीं होने के बावजूद इनकम टैक्स विभाग ने उन दुकानों की नीलामी कर दी. खरीददार को खुद ही दुकानों पर कब्जा हासिल करना था. उस वक्त उन दुकानों पर कब्जा दाऊद की बहन हसीना पारकर का था जिसकी अब मौत हो चुकी है. जब अजय श्रीवास्तव ने नीलामी में दुकानें जीत ली तो दाऊद के गुर्गे छोटा शकील की ओर से धमकी भरे फोन आए. लेकिन इसके बावजूद श्रीवास्तव ने दुकानों से अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी.


श्रीवास्तव ने कब्जा हासिल करने के लिए मुंबई के लघु न्यायालय में केस कर दिया. शुरुआत में हसीना पारकर कोर्ट में आने में आनाकानी करने लगी. उधर, नागपाड़ा इलाके के कुछ लड़के श्रीवास्तव को धमकाने के लिए अदालत आने लगे. कई तारीखों के बाद भी जब हसीना पारकर अदालत में नहीं आई तो श्रीवास्तव ने अदालत से एकतरफा ऑर्डर देने की फरियाद की. उसके बाद से हसीना ने मामले को गंभीरता से लेना शुरू किया.


2010 में अदालत ने अजय श्रीवास्तव के पक्ष में अपना फैसला सुनाया और हसीना पारकर को दुकानें उनके हवाले करने को कहा लेकिन हसीना नहीं मानी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील कर दी गई. अब 10 साल होने को आए हैं लेकिन अभी अपील पर फैसला नहीं आया है. 2001 से लेकर अब तक अजय श्रीवास्तव मुंबई के 40 से ज्यादा चक्कर काट चुके हैं.


बोली लगाने वालों को नहीं है दाऊद का खौफ


श्रीवास्तव की तरह ही दिल्ली के एक और वकील भूपेंद्र भारद्वाज ने भी नीलामी में दाऊद की संपत्तियों को खरीद लिया. हालांकि भारद्वाज हवेली को भी खरीदना चाहते थे लेकिन उनकी लगाई गई बोली से श्रीवास्तव की बोली ज्यादा निकली और हवेली श्रीवास्तव के हाथ लगी.


श्रीवास्तव और भारद्वाज दोनों का कहना है कि दाऊद की संपत्तियों को खरीदने के पीछे उनका मकसद आतंकवाद को चुनौती देना है. खरीदारी के जरिए उनका संदेश है कि भगोड़े दाऊद इब्राहिम का खौफ अब भारत में नहीं चलेगा.


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