Aligarh Acid Attack: देश में एसिड अटैक से ना जाने कितनों की हंसती खेलती जिंदगी नरक बन गई है. आज देश में हर साल एसिड हमले और बढ़ते जा रहे हैं. बता दें कि ऐसे ही एक खौफनाक हमले की शिकार हुई थी आगरा की रुकैया खातून. ये घटना सितंबर 2002 की है जब रुकैया अपनी बहन के घर नगला मसानी अलीगढ़ आई थी. तभी उसकी बहन के देवर ने उस पर तेजाब से हमला किया था. इस मामले के 20 साल बाद अब इसकी जांच अलीगढ़ पुलिस करेगी.


पिछले महीने जब एडीजी जोन राजीव कृष्ण अलीगढ़ आए थे, तो उन्होंने कहा था कि अलीगढ़ में बीस वर्ष पहले रुकैया पर एसिड अटैक के मुकदमे की विवेचना अलीगढ़ पुलिस करेगी. यह मुकदमा खुद एडीजी के ही निर्देश पर पिछले दिनों आगरा में दर्ज हुआ है. इस संबंध में उन्होंने एसएसपी अलीगढ़ और आगरा कमिश्नर को निर्देश दिए हैं. ये बातें एडीजी ने गुरुवार को जिले के निरीक्षण के दौरान मीडिया से बातचीत में कही है.


ये है पूरा मामला


रुकैया की बहन के घर एक छोटा देवर आरिफ भी रहता था. आरिफ रुकैया से शादी करने की जिद करता था. लेकिन वो मना कर देती थी. उस वक्त रुकैया की उम्र महज 14 साल थी. इसी बात से गुस्साए आरिफ ने एक दिन अचानक उस पर तेजाब से हमला कर दिया. हमले में रुकैया का चेहरा बुरी तरह से जल गया था.


थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार रुकैया ने कहा कि अलीगढ़ में उसकी बहन के देवर आरिफ ने उस पर हमला किया था. हमले के कारण उसके चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर जलने के कई गहरे निशान थे. मेरे घरवाले बहुत दबाव में थे इसलिए प्राथमिकी दर्ज नहीं करा सके थे. हालांकि हाल ही में एडीजी और पुलिस आयुक्त के साथ हुई बैठक ने मुझे न्याय का भरोसा दिलाया. 


सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे के आदेश दिए हैं


सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि एसिड हमलों के सभी पीड़ितों को मुआवजे के रूप में 3 लाख रुपये तक दिए जाएंगे. साथ ही पीड़िता को नि: शुल्क चिकित्सा उपचार की भी व्यवस्था दोनों निजी और राज्य के अधिकार वाले चिकित्सा संस्थान में की जाएगी. उनके लिए सरकारी नौकरियों में 1% आरक्षण भी है. लेकिन सरकारी योजनाओं के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करवाना एक बुनियादी आवश्यकता है. इसको लेकर एडीजी राजीव कृष्ण ने रुकैया को इंसाफ दिलाने का दायित्व लेते हुए आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह से बात की, जिसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई.


एसिड अटैक में आईपीसी के तहत ये प्रावधान है


पहले एसिड अटैक जैसे अपराधों को दंडित करने के लिए आईपीसी के तहत कोई विशिष्ट कानून नहीं थे. आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के तहत आईपीसी में धारा 326-ए और 326बी को जोड़ा गया. इस प्रकार एसिड हमलों के पीड़ितों के लिए विशेष बनाए गए. इन धाराओं के तहत दोषियों को न्यूनतम 10 साल की कैद की सजा दी जाती है. जिसे आर्थिक दंड के साथ आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. धारा 326बी के तहत किसी व्यक्ति पर तेजाब फेंकने की कोशिश करने पर भी 5-7 साल की सजा हो सकती है. भले ही पीड़ित को उससे नुकसान कुछ भी हो.


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