Jamia Nagar Violence: छात्र नेता शरजील इमाम को कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद राहत मिलती नहीं दिख रही है. अब पुलिस ने शरजील की जमानत के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है. शरजील इमाम को 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ देशद्रोह समेत तमाम धाराओं में केस दर्ज किया गया. इस मामले में शरजील इमाम के अलावा छात्र नेता सफूरा जरगर, चंदा यादव और कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है. आइए जानते हैं कि शरजील इमाम को कब और क्यों गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ क्या आरोप हैं.

  


कौन हैं शरजील इमाम? 
शारजील इमाम के खिलाफ कई मुकदमें ऐसे हैं जिनमें अभी फैसला आना बाकी है. बिहार के जहानाबाद के काको गांव में जन्में शारजील ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविधालय से पीएचडी की है. इनके पिता अकबर ईमाम ने 2005 में जेडीयू की सीट से राजनीति में कदम रखा था पर उन्हें जीत नही मिली थी. वे अपने क्षेत्र के जाने माने नेता थे. कई वर्षों से चली आ रही बीमारी के बाद उनकी 2014 में कैंसर से मौत हो गई. 


शरजील के खिलाफ कई मामले दर्ज
शरजील इमाम पर आरोप है कि उनके भाषण ने लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जिसके कारण जामिया मिलिया इस्लामिया में दंगे हुए. नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में भारत के खिलाफ उनके अभद्र भाषा के लिए भी उन पर मुकदमा दर्ज है. पांच राज्यों में इमाम के खिलाफ मामले दायर किए गए हैं. जिनमें असम, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और दिल्ली शामिल हैं. 25 जनवरी 2020 को असम पुलिस ने इमाम के खिलाफ उनके भाषण के लिए भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा के साथ UAPA की धारा के तहत एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की. उसी दिन उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ पुलिस ने भी इमाम के खिलाफ राजद्रोह और दो समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने का मामला दर्ज किया.


मणिपुर पुलिस ने भी इमाम के खिलाफ भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, राजद्रोह, गाली-गलौज करने और एक विशेष समूह पर हमले या अपराध करने की साजिश रचने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी. शरजील इमाम पर आरोप है कि उसने अपने भाषण में असम को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले संकरे भूभाग यानी चिकेन नेक क्षेत्र को अलग करने की बात कही थी. पुलिस ने इसके तहत देश के बाकी हिस्सों से पूर्वोत्तर को "कट ऑफ" करने की उनकी टिप्पणी के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी. 26 जनवरी 2020 को अरुणाचल प्रदेश की ईटानगर पुलिस ने इमाम के खिलाफ राजद्रोह, समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिकी दर्ज की. दिल्ली पुलिस ने देशद्रोह और धार्मिक शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोपों के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 153 के तहत प्राथमिकी दर्ज की.


तीन साल से जेल में बंद हैं शरजील इमाम 
28 जनवरी 2020 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप के बाद शरजील को बिहार के जहानाबाद से दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. हालांकि परिवार वालों का कहना था कि उन्होंने सरेंडर किया था. अप्रैल 2022 में, दिल्ली की एक जिला अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों में "बड़ी साजिश" का आरोप लगाते हुए एक मामले में इमाम को जमानत देने से इनकार कर दिया. जिसमें यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप शामिल थे. जिसमें कहा गया था कि आरोप "प्रथम दृष्टया सच" थे.


शरजील को कोर्ट से मिली राहत
4 फरवरी 2023 को साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील समेत 11 आरोपियों को आरोप मुक्त करते हुए पुलिस की खिंचाई की. उन्होंने कहा कि वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ पुलिस ने निर्दोषों को 'बलि का बकरा' बनाया. न्यायाधीश वर्मा ने कहा था कि प्रदर्शनकारी निश्चित रूप से बड़ी संख्या में थे और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भीड़ के भीतर कुछ असामाजिक तत्वों ने व्यवधान का माहौल बनाया. बता दें कि शरजील इमाम पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था. जिसमें कोर्ट ने इमाम को आरोप मुक्त कर दिया है. हलांकि इमाम जेल में ही रहेगा, क्योंकि वह 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों की साजिश मामले में भी आरोपी है. तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए दिल्ली पुलिस ने आरोप मुक्त करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है. जिस पर सुनवाई होनी है. 


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