Kartam Bhugtam Review: क्या कोई किसी की मौत की तारीख और वक्त सकता है, क्या कोई ये बता सकता है कि आपका अटका हुआ पैसा किस दिन आपके पास आ जाएगा, ऐसे बहुत से लोग दावा करते हैं. ये फिल्म धर्म और अंधविश्वास के बीच की उसी लखीर की बात करती है, ये बताती है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे, ये फिल्म बताती है कि किसी टोटके के सहारे जिंदगी बदली नहीं जा सकती. 


कहानी
ये कहानी है देव यानि श्रेयस तलपड़े की, जो न्यूजीलैंड से भोपाल आता है. मां इस दुनिया से बचपन में चली गई थी, पिता ने ही पाला पोसा, अब पिता भी दुनिया में नहीं रहे लेकिन वो अपने पिता की अधूरी इच्छा को पूरा करना चाहता है. वो 10 दिन में प्रॉपर्टी का कुछ काम खत्म करके विदेश वापस लौटना चाहता है लेकिन उसके काम अटक जाते हैं, फिर उसकी मुलाकात होती है अन्ना यानि विजय राज से जो इंसान का हाथ पकड़कर उसकी क्या उसकी मां की मौत की तारीख तक बता देते हैं. फिर क्या होता है, क्या अन्ना से मिलकर देव का काम बनता है,इस कहानी में काफी हैरान करने वाली ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं, जो आपको थिएटर जाकर देखने चाहिए.


कैसी है फिल्म
फिल्म की शुरुआत स्लो है, प्रोडक्शन हल्के लेवल का लगता है लेकिन कहानी में दम है और ट्रीटमेंट अच्छा है, पहले सीन से फिल्म में आपकी दिलचस्पी जग जाती है. आपको लगता है कि आगे क्या होगा, फिर वो होता है जो आप सोचते नहीं हैं, ऐसे ट्विस्ट आते हैं जो आपको हैरान करते हैं और फिर आप ये भूल जाते हैं कि ये एक छोटे बजट की फिल्म है, बस ये याद रहता है कि ये एक अच्छी फिल्म है और अच्छी फिल्म बनाने के लिए बजट नहीं, अच्छी कहानी और एक्टर चाहिए. एंड तक फिल्म आपको काफी हैरान करती है और कुछ सिखाती है जो आपको फिल्म देखकर सीखना पड़ेगा क्योंकि हर चीज रिव्यू के जरिए नहीं बताई जा सकती है.


एक्टिंग
श्रेयस तलपड़े ने एक बार फिर साबित किया है कि वो कमाल के एक्टर हैं. देव की हताशा, खुशी, मायूसी को श्रेयस ने अच्छे ढंग से पेश किया है, लगता है कि किरदार के लिए उन्होंने मेहनत की है, हालांकि ये किरदार एक काम नौकरीपेश नौजवान का था. लेकिन श्रेयस ने इसमे एक नई जान डाली है, विजय राज चौंकाते हैं, उनकी एक्टिंग जबरदस्त है. अन्ना के किरदार में वो काफी सूट भी किए हैं और उनकी एक्टिंग भी काबिले तारीफ है, मधु का काम भी अच्छा है, अक्षा पारदसानी ने भी अच्छी एक्टिंग की है.


डायरेक्शन
इस फिल्म को सोहम शाह ने लिखा भी है और डायरेक्ट भी किया है. सोहम को भले इस फिल्म के लिए बड़ा बजट नहीं मिला लेकिन उनकी कहानी अलग है और डायरेक्शन अच्छा है. फिल्म को उन्होंने कहीं खींचने नहीं दिया, शुरुआत में फिल्म जरूर थोड़ी स्लो लगती है लेकिन इतनी नहीं कि आप बोर हो जाएं और फिल्म छोड़ दें. सोहम ने साबित किया है कि कंटेंट इज किंग.


कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जा सकती है, आपको मजा आएगा.


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