Break Point Review: पार्टनरशिप में हीरे जैसी पारदर्शिता न हो तो वह सदा के लिए नहीं रहती. टूट जाती है. दो दशक तक देश-दुनिया को अपने खेल से आंदोलित करने वाले, सालों-साल रात-दिन साथ बिताने वाले लिएंडर पेस और महेश भूपति बीते कई बरसों से बांद्रा, मुंबई में मात्र 30 सेकंड की दूरी पर रहते हैं. मगर आज तक कोई किसी के घर नहीं गया. ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर आई डॉक्यूमेंट्री ब्रेक पॉइंट पेस-भूपति के पहली बार मिलने, दोस्ती के परवान चढ़ने, करिअर के ज्वार-भाटे और एक-दूसरे के प्रति सम्मान-शिकायतों का लंबा चिट्ठा है.


सात एपिसोड (औसतन 35-40 मिनट) की यह ‘रीयल स्टोरी’ पहले ही दृश्य से भावनाओं को छूती है. यह किताब की तरह खुलती है, जिसमें दो शानदार खिलाड़ियों का कोर्ट के बाहर का जीवन सामने आता है. यहां उन्हें संभालने वाले परिवार और कोच से लेकर प्रोफेशनलों की पूरी टीम है. ये सब दोनों खिलाड़ियों के फैसलों से प्रभावित होते हैं. पेस-भूपति भी अपनी-अपनी टीम के असर में रहते हैं.


पेस-भूपति का संयुक्त करिअर 1991 से 2021 तक फैला है. जिसमें भूपति की एंट्री 1994 में होती है और वह 2016 में अलविदा कह देते हैं. दोनों 1994 से 2006 तक और 2008 से 2011 तक डबल्स खेलते और ऊंचाइयां छूते हैं. जिनमें दो फ्रेंच ओपन और एक विंबलडन टाइटल शामिल है. वे दुनिया की नंबर एक डबल्स जोड़ी भी बने. उनकी उपलब्धियों में डेविस कप, ओलंपिक और एशियाड की सफलताएं शुमार हैं, जहां वह तिरंगे की छांव में खेले.




डॉक्यूमेंट्री बताती है कि पेस-भूपति भारतीय खेल इतिहास की अनूठी घटना हैं. लेकिन ये विवादों की मूर्तियां भी हैं. आप पाते हैं कि ऊपरवाला कैसे अपनी स्क्रिप्ट से लोगों को कठपुतली बनाता है. भूपति को छोटे भाई की तरह संरक्षण देने और उसके लिए प्रोफेशनल जीवन में त्याग करने वाले वाले पेस सपना देखते हैं कि दोनों मिलकर दुनिया को दिखा देंगे कि भारतीय भी ग्रैंड स्लैम जीत सकते हैं. यह इंडियन एक्सप्रेस लक्ष्य की ओर बढ़ रही होती है कि तभी 1997 में महेश फ्रेंच ओपन के मिक्स्ड डबल्स में जापान की रिका हीरा के साथ चैंपियन बन जाते हैं. एकाएक इतिहास में दर्ज होता है कि भूपति कोई भी ग्रैंड स्लैम सीनियर टाइटल जीतने वाले पहले भारतीय हैं. हालांकि महेश की इस सफलता पर पेस ईर्ष्या या जलन से इंकार करते हैं मगर आपको सहज की फिल्म थ्री इडियट्स का डायलॉग याद आता है, ‘दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है, लेकिन दोस्त फर्स्ट आ जाए तो ज्यादा दुख होता है.’ यहां पहली बार इस जोड़ी के बीच कुछ टूटने की आवाज मीडिया में आती है.




ब्रेक पॉइंट में पेस-भूपति ने दिल खोल कर बातें की हैं. जीवन, सुख-दुख, खेल, करिअर के उतार-चढ़ाव, हार-जीत, तारीफों-शिकायतों और आस-पास के लोगों के बारे में. पेस पारदर्शी-भावुक व्यक्ति के रूप में सामने आते हैं, जबकि भूपति आसानी से मन नहीं खोलते. वह सोचे-सधे अंदाज में बोलते हैं. पेस-भूपति के अलगाव में परिस्थितियों के साथ उनके पूर्व कोच एनरिको पिपरनो ‘खलनायक’ के रूप में उभरे हैं. पेस को लगता है कि एनरिको भूपति के कान में ‘कीड़ा’ डालते हैं, जबकि भूपति खेल और भावनात्मक रूप से एनरिको पर बहुत निर्भर हैं. पेस-भूपति के पिता भी अपने-अपने बेटों का पक्ष लेते हुए कहानी को भावनात्मक मोड़ देते हैं.




डॉक्यूमेंट्री में पेस-भूपति पर उनके दोस्तों, परिजनों, पत्रकारों से लेकर नंदन बाल, रोहन बोपन्ना, सानिया मिर्जा जैसे देसी टेनिस दिग्गजों, ऑस्ट्रेलिया की विख्यात डबल्स जोड़ी टॉड ब्रदर्स, चैंपियन मार्टिना हिंगिस, मैनेजमेंट गुरु शैलेंद्र सिंह और अमिताभ बच्चन तक ने बातें की हैं. माना जाना चाहिए कि ओटीटी भारत में गंभीर डॉक्यूमेंट्री का युग भी शुरू करेगा. खास तौर पर खेल प्रेमियों को ब्रेक पॉइंट बहुत पसंद आएगी. यहां उन्हें पेस-भूपति से जुड़े कई सवालों के जवाब मिलेंगे. क्या ऐसी ही डॉक्युमेंट्री हिंदी सिनेमा की सबसे चर्चित राइटर जोड़ी सलीम-जावेद के अनसुलझे अलगाव पर बन सकती है? उस बहाने पूरा एक युग सामने आ सकता है. निर्देशक जोड़ी अश्विनी अय्यर तिवारी और नितेश तिवारी खूबसूरती से पेस-भूपति की दास्तान सामने लाए हैं.


भूपति के साथ दोस्ती को जीने वाले पेस एक जगह बताते हैं कि उन्होंने शोले सौ से अधिक बार देखी है और दर्जनों बार भूपति के साथ बैठ कर. मगर इस दोस्ती को अंततः किसी ‘गब्बर’ की नजर लग ही गई. ब्रेक पॉइंट में अमिताभ बच्चन हंस कर कहते कि दोनों को शोले का गाना सुनाइए ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...’ और दोनों फिर साथ आ जाएंगे. लेकिन जिंदगी सिनेमा के पर्दे पर नाचती-गाती छायाएं नहीं, हाड़-मांस की हकीकत है. भावनाओं के धागों से इसकी धड़कनें बुनी है. इसीलिए महाकवि रहीम का यह दोहा बचपन में ही स्कूल की किताब में पढ़ाया जाता है,  ‘रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय/टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए.’ गांठें चुभती हैं. यह चुभन और इसका दर्द आपको ब्रेक पॉइंट में मिनट-दर-मिनट हर शख्स की बातों में महसूस होता है.


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