जिस कोशिश में शिद्दत नहीं होती वह कोशिश किस काम की. ऊपर-ऊपर यह एक प्रेरक वाक्य लगता है. लेकिन फिल्म शिद्दत में हीरो यह बात अपने प्यार को पाने के लिए कहता है. उसके प्यार की शिद्दत इतनी है कि पहले तो वह पासपोर्ट रद्द होने पर आठ देशों की सीमाएं पार करता हुआ फ्रांस पहुंच जाता है और वहां से इंग्लिश चैनल तैर कर लंदन पहुंचने का प्रयास करता है. जिस लड़की से वह प्यार करता है, उसकी लंदन में शादी हो रही है. रोचक बात यह है कि जिस ओटीटी डिज्नी हॉटस्टार पर फिल्म शिद्दत रिलीज हुई, उस पर शाहरुख खान का एक विज्ञापन आ रहा है. जिसमें शाहरुख का मैनेजर रोमांस की बात निकलने पर कहता है कि सर ‘नाइंटीज’ (1990 का दशक) जा चुका है.


शिद्दत आपको टिंडर के जमाने में शाहरुख के जमाने का रोमांस फील कराने की कोशिश करती है. वह दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे को भी याद करती है. शिद्दत का हीरो शाहरुख के लेवल की एनर्जी दिखाने की कोशिश में है. फिल्म एनआरआई दुल्हनिया पाने के लिए देसी मुंडे का स्ट्रगल दिखाती है. अगर आप अब भी उस दौर में हैं या फिर उस जमाने का फील पाना चाहते हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं. बॉलीवुड में आजकल रोमांटिक कहानियां हीरो या हीरोइन के ‘कमिटमेंट फोबिया’ में अटकी हुई हैं. यहां हीरोइन को हीरो के साथ वन-नाइट-स्टैंड में समस्या नहीं. शादी में है. वह कहती है कि सिर्फ प्यार के लिए शादी नहीं होती, शादी होती है सैटल होने के लिए. प्यार को ठुकराते हुए वह भरी जवानी में अपने बुढ़ापे तक की रील आंखों के सामने चलती देख लेती है. लड़के के ज्यादा जोर देने पर कहती है कि अगर तुझमें तीन महीने तक प्यार की यही शिद्दत भरी फीलिंग बनी रहे तो लंदन आ जाना. लड़के की जिद है कि लड़की ने इस जमाने में सच्चा प्यार देखा नहीं, वह उसे दिखाएगा.




करीब दो घंटे 26 मिनट की यह फिल्म नए जमाने में प्यार की वह तस्वीर दिखाती है जो कई जमानों से फिल्मों में ही नजर आता रहा है. प्यार के बहाने फिल्म यूरोप में अवैध प्रवासियों की समस्या की भी झलक सामने रखती है. यहां दो कहानियां समानांतर चलती हैं. एक में गौतम (मोहित रैना) और इरा (डायना पेंटी) हैं. दोनों पंजाब में शादी के बाद फ्रांस में सैटल हैं. यह लव मैरेज तीन ही महीनों में तलाक के कगार पर पहुंच गई है. दूसरी तरफ जग्गी (सनी कौशल) और कार्तिका (राधिका मदान) हैं. जो पंजाब में ऑल इंडिया स्पोर्ट्स मीट में मिले. जग्गी हॉकी प्लेयर है और कार्तिका तैराक. ‘बेवॉच पोज’ की नोक-झोंक से बात वन-नाइट-स्टैंड तक आती है. जग्गी प्यार का इजहार भी करता है मगर कार्तिका की शादी लंदन में फिक्स है. बिना पासपोर्ट लंदन जाने के लिए निकला जग्गी फ्रांस में पकड़ा जाता है, जहां गौतम भारतीय दूतावास में अधिकारी है. जब गौतम-जग्गी आमने-सामने होंगे तो क्या होगा? दोनों के प्यार का अनुभव बिल्कुल जुदा है. एक प्यार बचाने के लिए चालीस कदम नहीं चल सकता और दूसरा सैकड़ों-हजारों किलोमीटर के रास्ते पार कर आया है.




शिद्दत बॉलीवुड अंदाज का रोमांस है, जिसमें साधारण-से लड़के को शाहरुख वाला अंदाज दिया गया है. सनी कौशल ने इसे ठीक ठाक निभाया है. हालांकि उनका अंदाज रोमांटिक हीरो वाला नहीं है. वह यहां इसलिए याद रहेंगे कि उन्होंने अपना ‘बट’ पूरी बेशर्मी के साथ उजागर किया है. राधिका मदान लव स्टोरी में विशेष प्रभावित नहीं करतीं. उनके चेहरे-मोहरे में प्रेम के भाव सहज नहीं उभरते. उनकी बॉडी लैंग्वेज रोमांटिक हीरोइनों वाली नहीं हैं. मोहित रैना जरूर बढ़िया अभिनय करते हैं और वह अपने किरदार में फिट हैं. डायना पेंटी उनका कंधे से कंधा मिला कर साथ देती हैं. फिल्म में सहायक किरदार मजबूत नहीं हैं और उनके लिए इस लंबी फिल्म में विशेष ट्रेक भी नहीं लिखे गए. शिद्दत रोमांस के साथ आगे बढ़ती है, प्यार की बड़ी-बड़ी बातें करती हैं और क्लाइमेक्स में बुरी तरह निराश करती है. यहां लेखक-निर्देशक गच्चा खा जाते हैं.




फिल्म लिखते-बनाते वक्त लेखक-निर्देशक जानते हैं कि डीडीएलजे के हैंगओवर को वह नए डिजाइन की बोतल में डाल रहे हैं, इसलिए उससे थोड़ा कुछ अलग और नया करना के चक्कर में ऐसा कमजोर क्लाइमेक्स रच देते हैं, जो कहानी की फ्रेम से पूरी तरह बाहर निकल जाता है. शिद्दत वाले प्यार के बीच अगर जोरदार विलेन न हो तो वह कहानी अधूरी है. यह अधूरापन शिद्दत में पूरी तरह देखा जा सकता है. अगर आप रोमांटिक फिल्मों के पक्के वाले फैन हैं तभी आपको शिद्दत की मोहब्बत रास आएगी. फिल्म का कैमरा वर्क अच्छा है और गीत-संगीत भी सुनने जैसा है. लेकिन कहानी और पटकथा का साथ न मिलने से वह कमजोर पड़ जाता है.


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