Puja: अकसर लोगों को इस बात से भ्रमित देखा गया है कि घर में किस धातु की मूर्ति को रखना चाहिए. पूजा स्थल में देव प्रतिमाएं किस प्रकार की होनी चाहिए. इसको लेकर हर किसी के मन में कोई न कोई सवाल होता ही है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि घर में किस धातु की मूर्ति की पूजा कैसा फल देती है.


भागवत पुराण में भगवान की आठ प्रकार की प्रतिमाओं की चर्चा है. जैसे- पत्थर, कील, लकड़ी, धातु, चंदन के लेप, चित्रमयी, मिट्टी या बलूकामयी, मनोमयी और मणिमयी. ये भगवान की आठ प्रकार की प्रतिमा कही गई हैं. भविष्य पुराण में तो यहां तक कहा गया है कि कोई प्रतिमा उपलब्ध न हो तो सुपारी आदि फलों अथवा चावलों के ढेर में प्रतिमा की कल्पना करके पूजा करनी चाहिए. इसका भी लाभ होता है.


कौन सी धातु किस ग्रह को है समर्पित
जहां तक नवग्रहों का प्रश्न है, तो प्रत्येक ग्रह के रंग-रूप, स्वभाव, प्रभाव आदि के अनुसार प्रतिमा के लिए धातु बताई गई है. जैसे, सूर्य की प्रतिमा तांबे और चंद्र और शुक्र की प्रतिमाएं चांदी की बनानी चाहिए. मंगल, बुध और गुरु की प्रतिमाएं स्वर्ण तथा शनि की प्रतिमा काले लोहे से निर्मित होनी चाहिए. जबकि राहु की प्रतिमा शीशा और केतु की प्रतिमा का निर्माण कांसे से करना चाहिए. मत्स्य पुराण में कहा गया है कि ग्रहों की मूर्तियां मुकुट युक्त तथा अपने हाथ के एक अंगुल से लेकर 108 अंगुल तक की ऊंचाई वाली बनानी चाहिए. तभी वह फलित होती है.


विभिन्न मूर्तियों की पूजा उपासना



  • हर घर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित होती हैं, जो अलग-अलग धातुओं की बनी होती है. विभिन्न धातुओं से बनी मूर्तियों का फल भी अलग होता है. इसलिए चलिए जानते है किस धातु का पूजन करने से क्या फल मिलता है और कैसे मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

  • घर में लकड़ी की प्रतिमा का पूजन करना काम प्रदायिनी होता है. ऐसे लोगों के सभी कार्य पूर्ण होते हैं

  • स्वर्ण की प्रतिमा का पूजन भक्ति और मुक्ति के द्वार खोलने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति का भगवान की भक्ति में मन लगता है और मन में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है.

  • चांदी की प्रतिमा स्वर्ग प्रदान करने वाली होती है. अतः इस धातु की प्रतिमा का पूजन करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

  • तांबे की मूर्ति आयुवर्धक होती है, इस धातु के बने देव की पूजा करने से लोगों की आयु बढ़ती है और घर में रहने वालों के रोगों का नाश होता है.

  • कांसे की मूर्ति अनेक प्रकार की आपत्तियों को नष्ट करने वाली मानी गई है. इसलिए ऐसी धातु की मूर्ति का पूजन करना सभी परेशानियों से मुक्ति दिलाने वाला होता है.

  • मिट्टी की प्रतिमा सुख-संपत्ति प्रदान करने वाली होती है एवं कल्याणकारिणी होती है.

  • धर्म ग्रंथों के अनुसार, यदि आपको पूजा घर में धातु की मूर्ति हो तो वह छह अंगुल से छोटी हो, तो प्रतिदिन स्नान कराना आवश्यक है. सिर्फ चित्र हो, तो आवाहन भी किया जा सकता है. जो प्रतिमा छह अंगुल से बड़ी हो या पट्ट अथवा यंत्र में लिखी हो, उसे प्रतिदिन स्नान कराना आवश्यक नहीं है. हां, पर्व या मूर्ति मलिन होने पर स्नान कराया जा सकता है.


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