Nirjala Ekadashi 2023: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी की तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. महाभारतकाल में भीम ने कठिन होने के बावजूद जैसे-तैसे इस निर्जल व्रत को किया था. तभी इसे भीमसेनी एकादशी तक भी कहा जाता है. निर्जला एकादशी व्रत कोई भी कर सकता हैं. लेकिन किसी प्रकार की व्याधियों से पीड़ित या दवाई खाने वालों को निर्जला एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए. 


सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास सहित साल की 26 एकादशी व्रत का फल मिलता है. जहां साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है. वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी जरूरी है. इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है. 



यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है. इस दिन व्रत रखने वाले जातक सभी सुखों की प्राप्ति की ओर जाते हैं. चाहे वह शारीरिक सुख हो, पारिवारिक सुख हो, आर्थिक सुख हो, या फिर स्वर्ग जाने का सुख हो. यह व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं, हमारे पापों का नाश होता हैं.


निर्जाला एकादशी का शुभ मुहूर्त और योग


उदयातिथि के अनुसार इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023, बुधवार को है. 
निर्जला एकादशी तिथि 30 मई को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से शुरू होगी और बुधवार 31 मई दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. 
वहीं निर्जला एकादशी पारण का श्रेष्ठ मुहूर्त गुरुवार 1 जून सुबह 5 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट रहेगा.
इस दिन वाशी योग, सुनफा योग, बुधादित्य योग और सर्वार्थसिद्धि योग जैसे शुभ योगों संयोग बन रहा है.


एकादशी के दिन इन 3 उपायों से मिलेगी शुभ फल



  • निर्जला एकादशी व्रत पर दान का काफी महत्व होता है, इस दिन जरूरतमंदों को पीले वस्त्र, फल, चप्पल, पानी, शरबत, आम, तरबूज, शक्कर आदि का दान करना चाहिए. 

  • पितृ दोष और चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए निर्जला एकादशी के दिन जल का दान अवश्य करना चाहिए. आज के दिन प्याऊ लगवाने या फिर किसी मंदिर के पास जल, शरबत का वितरण करने से पितृ दोष और चंद्र दोष से राहत मिलती है.

  • निर्जला एकादशी के दिन सुबह उठकर हथेलियों को देख कर करें कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती. करमूले तू गोविंद, प्रभातेकरदर्शनम. मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से जीवन में सुख शांति बनी रहती है.


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