Devraha Baba Story: भारत में पौराणिक समय से ही ऋषि-मुनियों की परंपरा रही है. वहीं हिंदू धर्म में तो सैंकड़ों योगियों और सन्यासियों का वर्णन मिलता है. इन्हीं में एक है उत्तर प्रदेश के देवरिया के सिद्ध महायोगी बाबा, जिन्हें देवरहा बाबा कहा जाता है.
बाबा को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने सैंकड़ों वर्ष जीवित रहने का रिकॉर्ड बनाया है और उन्हें कई तरह की सिद्धियां भी प्राप्त थी. बाबा लोगों और जानवरों के मन के बातों को भी जानने में माहिर थे. बाबा के चमत्कारों को लेकर अनेकों कहानियां हैं. जानते हैं बाबा के चमत्कार और कहानियों के बारे में.
देवरहा बाबा की लंबी आयु का रहस्य
आमतौर पर जीवनकाल में व्यक्ति 70,80, 90 या फिर 100 वर्ष तक जीता है. यदि कोई वर्ष जी भी ले तो इसे रिकॉर्ड माना जाता है. लेकिन बाबा देवरहा को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने 900 वर्ष से भी अधिक जीने का रिकॉर्ड बनाया था.
हालांकि बाबा के जीवनकाल को लेकर कई मत हैं. कुछ को कहना है कि बाबा 250 वर्ष जिए तो कुछ का मानना है कि बाबा की उम्र 500 वर्ष थी. बाबा की मृत्यु कितने वर्ष में हुई इसके साथ ही बाबा के जन्म को लेकर भी असमंसज है. बाबा का जन्म कब, कहां और कैसे हुआ इसका पता आजतक नहीं चल सका.
जनसेवा और गोसेवा को सर्वोपरि मानते थे बाबा देवरहा
बाबा देवरहा भगवान श्री राम के भक्त थे और श्री कृष्ण को भी बाबा श्रीराम के समान मानते थे और भक्तों को कष्टों से मुक्ति के लिए इन्हीं के मंत्र देते थे. लेकिन इसके अलावा बाबा गोसेवा और जनसेवा को भी सर्वोपरि मानते थे. बाबा ने अपने भक्तों को गरीबों, असहाय व जरूरतमदों की सेवा, गोमाता की रक्षा करने तथा ईश्वर की भक्ति में लीन रहने को प्रेरित करते थे. बाबा देवरहा लोगों को गोहत्या के विरुद्ध रहने की प्रेरणा दिया करते थे.
बाबा के भक्तों में नामचीन हस्तियां भी शामिल
देवरहा बाबा के दर्शन के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से लोग पहुंचते थे. लेकिन कई नामी हस्तियां भी भी बाबा के दर्शन के लिए आती थीं. बाबा के भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री , इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसे नामचीन लोग शामिल हैं.
बाबा देवरहा के चमत्कारिक और अलौकिक रहस्य
बाबा सरयू नदी के किनारे बने आश्रम के लकड़ी के एक मचान पर बैठे रहते थे और यहीं वे अपने भक्तों को दर्शन देते थे. कहा जाता है कि सरयू के दियारा क्षेत्र में होने के कारण ही बाबा का नाम ‘देवरहा बाबा’ पड़ा. बाबा की शारीरिक और वेशभूषा बनावट भी अद्भुत थी. दुबला-पतला शरीर, लंबी जटाएं, कंधे पर यज्ञोपवीत (जनेऊ) और कमर में मृग की छाला रहती थी. कहा जाता है कि बाबा जानवरों की भाषा भी समझते थे और इस चमत्कार से वे खतरनाक जंगली जानवरों को पलभर में काबू कर लेते थे. कहा जाता है कि बाबा देवरहा पूरे 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए भी रह सकते थे.
देवराहा बाबा के मंत्र
बाबा भक्तों को हमेशा राम मंत्र की दीक्षा देते थे, वे कहते थे...
'एक लकड़ी ह्रदय को मानो दूसर राम नाम पहिचानो
राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो।'
बाबा भगवान राम के साथ श्री कृष्ण को भी मानते थे. बाबा श्री राम और श्रीकृष्ण को एक ही मानते थे. बाबा भक्तों को कृष्ण मंत्र भी देते थे. वे कहते थे..
‘ऊं कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो नम:’
बाबा ने इस दिन नश्वर शरीर को त्याग दिया
कहा जाता है कि बाबा ने जीवन में कभी अन्न नहीं खाया. वे केवल दूध, शहद और फलाहार लिया करते थे. बाबा के जन्म की तारीख तो अज्ञात है, जिस कारण उनके उम्र का सही आंकलन नहीं किया जा सकता. लेकिन बाबा ने अंतिम सांस 19 जून 1990 को ली थी. यह योगिनी एकादशी का दिन था. हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी को बेहद उत्तम माना गया है, जोकि मोक्ष दिलाने वाला होता है.
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