Magh Ganesh Jayanti 2024: भाद्रपद माह में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी को सभी लोग जानते हैं और इसमें दस दिन से ग्यारह दिन तक गणेशोत्सव (Ganeshotsav 2024) चलता है. लेकिन बहुत कम लोगों को माघी गणेश चतुर्थी के बारे में पता है. यह गणेशोत्सव भी उसी तरह मनाया जाता है, उसी प्रकार की पूजा होती है. माघ महीने में पड़ने के कारण इसका नाम माघी गणपति (माघ महीने मे गणेश जी की अराधना) होता है.


माघी गणेश चतुर्थी का यह उत्सव अभी तक महाराष्ट्र और कर्नाटक तक ही सीमित था. लेकिन अब देश के कई भाग में इसे मनाया जा रहा है. आज के दिवस संकष्टी (भगवान गणेश को समर्पित) का व्रत मनाया जाता है. माघ मास में गणेश पूजन और संकष्टी व्रत का वृतांत हमारे शस्त्रों में भी वर्णन है, चालिए उसपर नजर डालते हैं-


नारद पुराण (पूर्वभाग चतुर्थ पाद अध्याय क्रमांक 113) अनुसार, माघ कृष्णा चतुर्थी को 'संकष्टव्रत' (संकष्टी) बतलाया जाता है. उसमें उपवास का संकल्प लेकर व्रती पुरुष सबेरे से चन्द्रोदय काल तक नियमपूर्वक रहें. मन को वश में रखें. चन्द्रोदय होने पर मिट्टी की गणेशजी की मूर्ति बनाकर उसे पीढ़े या चौकी (पाटे) पर स्थापित करें. गणेशजी के साथ उनके आयुध और वाहन भी होने चाहिए.  मूर्ति में गणेशजी की स्थापना करके षोडशोपचार से विधिपूर्वक उनका पूजन करें. फिर मोदक तथा गुड़ में बने हुए तिल के लड्डू का नैवेद्य अर्पण करें. इसके बाद तांबे के पात्र में लाल चन्दन, कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, शमीपत्र, दधि और जल एकत्र करके चन्द्रमा को अर्घ्य दें. उस समय निम्नांकित मन्त्र का उच्चारण करे-


"गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥" (नारद पुराण पूर्वभाग चतुर्थ पाद 113.77) 


अर्थ है- "गगन रूपी समुद्र के माणिक्य चन्द्रमा ! दक्षकन्या रोहिणी के प्रियतम! गणेश के प्रतिविम्ब! आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए."


इस प्रकार गणेशजी को यह दिव्य तथा पापनाशक अर्घ्य दें. इस प्रकार कल्याणकारी 'संकष्टव्रत' का पालन करके मनुष्य धन-धान्य से सम्पन्न होता है. वह कभी कष्ट में नहीं पड़ता. माघ शुक्ला चतुर्थी को परम उत्तम गौरी व्रत का भी वर्णन शास्त्रों में है.


चाहे भाद्रपद की चतुर्थी हो या माघ की, विषय हमारी आस्था का है. प्रथम पूज्य की सेवा अर्चना में भक्त कोई कसर नहीं छोड़ते है. धीरे-धीरे लोगो के बीच माघी गणेशजी की मूर्ति स्थापित करने का प्रचलन भी बढ़ता जा रहा है और यह सनातनियों के लिए शुभ संकेत है.


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