Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष (Pitru Paksha) का समापन 6 अक्टूबर को हो रहा है. 5 अक्टूबर, मंगलवार के दिन चतुर्दशी श्राद्ध (Chaturdashi Sharadh) होता है. इसे घायल चतुर्दशी श्राद्ध (Ghayal Chaturdashi Sharadh) और घाट चतुर्दशी श्राद्ध (Ghat Chaturdashi Sharadh) भी कहा जाता है. इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृ्त्यु दुर्घटना से हुई हो या किसी हथियार से हुई हो. पितपक्ष के दिनों में पितरों को याद किया जाता है. इन दिनों में उनकी आत्मा की शांति और संतुष्टी के लिए श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं. पितर इन दिनों में अपने प्रियजनों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं. 


पितरों के श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार किया जाता है. इसी बीच चतुर्दशी तिथि श्राद्ध 5 अक्टूबर, मंगलवार के दिन है. चतुर्दशी श्राद्ध को चौदस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं चतुर्दशी श्राद्ध की तिथि और महत्व के बारे में...



चतुर्दशी श्राद्ध तिथि और समय (Chaturdashi Sharadh Tithi and Time) 


चतुर्दशी तिथि शुरू- 4 अक्टूबर 2021 रात 10:05 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 5 अक्टूबर 2021 को शाम 07:04 बजे
कुटुप मुहूर्त- 11:45 सुबह से 12:32 दोपहर
रोहिना मुहूर्त- दोपहर 12:32 बजे से दोपहर 01:19 बजे
अपर्णा काल- 01:19 से 03:41 दोपहर
सूर्योदय प्रातः 06:16 बजे
सूर्यास्त सायं- 06:02 बजे


चतुर्दशी श्राद्ध 2021 महत्व (Chaturdashi Sharadh Significance)


पितृपक्ष के दिन पितरों का याद करने और उनके लिए तर्पण श्राद्ध करने के दिन होते हैं. हर तिथि का अपना अलग महत्व होता है. पितृपक्ष अब समाप्त होने को है. 6 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृपक्ष का समापन होता है. उससे एक दिन पहले होता है चतुर्दशी श्राद्ध. इस दिन उन पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है जो किसी हथियार या दुर्घटना में मारे गए हैं. इतना ही नहीं, इस दिन आत्महत्या करने वाले, हिंसक मौत का सामना करना पड़ा या उनकी हत्या कर दी गई हो उन सभी का श्राद्ध चतुर्दशी को किया जाता है. चतुर्दशी श्राद्ध को घायल चतुर्दशी श्राद्ध या घाट चतुर्दशी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.


चतुर्दशी श्राद्ध 2021 अनुष्ठान विधि (Sharadh Anushthan Vidhi)


– श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को स्नान करके ही श्राद्ध का भोजन तैयार करना चाहिए.  उसके बाद साफ कपड़े, अधिकतर धोती और पवित्र धागा पहना जाता है.


- श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को दरभा घास की अंगूठी पहननी होती है. 


– श्राद्ध के दिन पूजा से पितरों का आह्वान होता है.


– श्राद्ध पूजा विधि के अनुसार, अनुष्ठान के दौरान पवित्र धागे को कई बार बदला जाता है.


– श्राद्ध के समय भगवान विष्णु और यम की पूजा की जाती है.


– श्राद्ध के दौरान पहले पंचबलि भोग लगाया जाता है. इसमें भोजन पहले गाय को, फिर कौवे, कुत्ते और चीटियों को दिया जाता है. उसके बाद ब्राह्मणों भोज कराया जाता है. भोजन के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा दे कर सम्मान के साथ विदा किया जाता है.


– इन दिनों दान पुण्य और चैरिटी का विशेष महत्व होता है और बहुत फलदायी माना जाता है.


– पितृ पक्ष में कुछ लोग भगवत पुराण और भगवद् गीता के अनुष्ठान पाठ की व्यवस्था करते हैं.


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