Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य ने सभी विषयों पर प्रखरता से अपने विचार रखें. मानव के विकास में जरूरी हर उस बिंदु पर उन्होंने प्रकाश डाला है जो आज भी सफलता के मंत्र के रूप में आत्मसात किए जाते हैं. चाणक्य स्वयं एक शिक्षक थे. लेकिन उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्रहित के लिए समर्पित रहा.


चाणक्य का मानना था कि राष्ट्र के विकास में प्रत्येक व्यक्ति महत्पूर्ण है. उनका ये भी मानना था कि व्यक्ति अपने आचरण से श्रेष्ठ बनता है. श्रेष्ठ व्यक्ति ही राष्ट्र के निर्माण में अपना विशिष्ठ योगदान देते हैं. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सदैव अच्छी आदतों को ही अपनाना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से वह स्वयं और राष्ट्र का भला कर सकता है. वहीं आचार्य चाणक्य ने इस एक आदत से व्यक्ति को सदा ही दूर रहने के लिए कहा है.


झूठ बोलने की आदत व्यक्ति का सर्वनाश कर देती है
चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कहा है कि व्यक्ति को असत्य बोलने की आदत कभी डालनी चाहिए. झूठ बोलने की आदत एक गंभीर रोग के समान है जो व्यक्ति का धीरे-धीरे नाश करने लगता है. जब तक व्यक्ति समझ पाता है तब तक उसके सभी विकल्प समाप्त हो चुके होते हैं. ऐसे में उसके पास निराशा और निर्धनता के सिवा कुछ नहीं बचता है. समाज भी ऐसे लोगों को त्याग देता है क्योंकि ऐसे लोगों की जब पोल खुल जाती है तो इन्हें लोग अपने पास भी बैठना पसंद नहीं करते हैं. इनका तिरस्कार कर दिया  जाता है.


परिवार के लोग भी बना लेते हैं दूरी
झूठ बोलने वाले व्यक्ति से परिवार के लोग भी दूरी बना लेते हैं. ऐसे लोग अपनी विश्वसनीयता को पूरी तरह से खो देते हैं. दुख घड़ी में लोग साथ नहीं देते हैं और मदद से भी मुंह मोड लेते हैं. इसलिए झूठ नहीं बोलना चाहिए.


झूठ के सहारे प्राप्त सफलता अधिक दिन तक नहीं रहती
झूठ के सहारे एक बार तो व्यक्ति सफल हो सकता है लेकिन बार बार उसे ऐसे अवसर प्राप्त नहीं होते हैं. क्योंकि झूठ की अवधि अधिक नहीं होती है. एक न एक दिन लोगों को सच्चाई का ज्ञान हो ही जाता है. तब शर्मिंदा होना पड़ता है. इसलिए जितनी जल्दी हो इस आदत से मुक्ति पा लेनी चाहिए.


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