Bakrid 2020: इस साल कुर्बानी का त्यौहार बकरीद शनिवार को मनाया जाएगा. बकरीद इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने की दस तारीख को मनाया जाता है. मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहार बकरीद को ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है.  इस दिन मुसलमान ईदगाह या मस्जिदों में नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी की तैयारियों में लग जाते हैं.


1 अगस्त को मनाई जाएगी बकरीद


बकरीद मुसलमानों का अहम त्यौहार है. इस मौके पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के लिए मुसलमान जानवर या तो पालकर रखते हैं या फिर बाजार से खरीदकर लाते हैं. उन्हें नमाज के बाद से तीन दिनों तक जानवरों को कुर्बान करने की इजाजत होती है. कुर्बानी दरअसल पैगम्बर इब्राहिम की सुन्नत है जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म के आगे अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का फैसला किया. हालांकि अल्लाह का मकसद किसी इंसान की कुर्बानी लेना नहीं था बल्कि इब्राहिम की परीक्षा लेना था. जिसमें इब्राहिम कामयाब साबित हुए. अल्लाह को उनकी ये अदा बहुत ज्यादा पसंद आई. उसके बाद से ये ही सुन्नत मुसलमानों में चली आ रही है. जिसका महत्व इस्लाम की धार्मिक किताबों में बताया गया है.


त्यौहार पर जानवर कुर्बान करने की है परंपरा


कुर्बानी करना हर अकलमंद, बालिग, आर्थिक रूप से संपन्न मुसलमान पर फर्ज है. आर्थिक रूप से संपन्न होने की इस्लाम में 52 तोला चांदी का मालिक या उसकी कीमत के बराबर का रुपए होना शर्त है. इस्लाम में कुर्बानी करनेवाले को अपने दोस्तों, पड़ोसियों और गरीबों का भी ख्याल रखने की ताकीद की गई है. कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में विभाजित किया जाता है. एक हिस्सा गरीबों के खास होता है. दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों समेत परिचितों को दिया जाता है. तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है. जानवर की कुर्बानी करते समेत एक साल से कम उसकी उम्र नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा जानवर मजबूत और स्वस्थ्य होने चाहिए.


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