Sawan Somvar Vrat Date: श्रावण मास में सावन के सोमवार का विशेष महत्व बताया गया है. सावन के सोमवार को की जाने वाली शिव पूजा का विशेष फल मिलता है. सावन सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख समृद्धि आती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं.


सावन का पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित है. सावन सोमवार के अतिरिक्त प्रदोष व्रत और मासिक शिव रात्रि पर भी भगवान शिव की विशेष आराधनी की जाती है. श्रावण मास में शिव भक्त शिव की भक्ति में डूबे रहते हैं. सावन मास में शिव पूजा से धन, सम्मान और निरोगी काया भी प्राप्त होती है.


भगवान शिव को पसंद है सावन मास
मान्यता है कि शिवजी को सावन मास बहुत प्रिय है. एक कथा के अनुसार चातुर्मास का प्रथम मास श्रावण मास है. चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करने चले जाते हैं और सृष्टि की बागड़ोर भगवान शिव को सौंप जाते हैं. चातुर्मास में भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं. सावन मास में शिव भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की स्तुति करते हैं.


चार नहीं पांच सोमवार है सावन मास में
इस बार सावन मास में चार नहीं पांच सोमवार है. सावन मास का पहला सोमवार 6 जुलाई को था. 6 जुलाई से ही सावन मास का आरंभ हुआ था. सावन मास की समाप्ति 3 अगस्त सोमवार के दिन ही हो रही है.


सावन का अंतिम सोमवार
3 अगस्त को सावन के अंतिम सोमवार को विशेष पूजा का विधान है. इस दिन स्नान के बाद गंगाजल से पूजा स्थान को शुद्ध करें. इसके बाद पूजा आरंभ करें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करें, दान दें. इस दिन क्रोध और हर प्रकार की बुराइयों से बचना चाहिए.


शुभ मुहूर्त
3 अगस्त को पूर्णिमा की तिथि है. इस दिन चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेंगे. इस दिन प्रीति योग है. जो सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा इसके बाद आयुष्मान योग का निर्माण होगा.


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