अपनी जिंदगी को खुशहाल बनाने के बारे में हर कोई सोचता है. हर कोई चाहता है कि वह कम से कम परेशानियों के साथ एक लंबा जीवन जिए और परिवार, करीबी दोस्तों और इस दुनिया का आनंद उठा सके. ऐसे में ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि खुशहाल जीवन जीने के लिए सुख-सुविधाओं से लेकर पैसा या समाज में रुतबा होना जरूरी है. हालांकि, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा इसी विषय पर 85 साल लंबे एक शोध में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं.

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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का 85 साल लंबी शोध

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने साल 1938 में एक शोध या अध्ययन की शुरुआत की. इस अध्ययन के जरिए शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि पूरी दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो अपना जीवन खुशियों भरे अंदाज में जीना न चाहता हो. सभी लोग चाहते हैं कि उनके जीवन में कोई कठिनाई या परेशानी न आए. इस लंबे और महत्वपूर्ण शोध में सभी उम्र के लोगों की जिंदगी को ध्यान से देखा गया और एक इंसान के जीवन को प्रभावित करने वाली हर एक चीज को सावधानी से परखा गया. इस शोध में असफलताएं, सफलता, बीमारी, काम, परिवार, खुशियां देने वाले पल, तकलीफें और बुढ़ापा जैसे सभी पहलुओं को शामिल किया गया. इन सभी फैक्टर्स पर गहराई से शोध करने के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि खुशहाल जीवन जीने के लिए पैसा, पावर, रुतबा और सफलता उतनी अहम नहीं हैं, जितने अहम आपके अच्छे रिश्ते और व्यवहार हैं. लंबे और खुशहाल जीवन के लिए इंसान के रिश्ते सबसे ज्यादा मायने रखते हैं.

खुशहाल लोगों की आदतें क्या होती हैं?

  • इस 85 साल लंबे चले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध से यह बात साफ सामने आई कि स्वस्थ और लंबे जीवन के लिए आपका व्यवहार और दूसरों के साथ आपके रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस स्टडी में पाया गया कि जो लोग सच में खुशहाल जीवन जी रहे थे, उनमें तनाव और मुश्किलों से लड़ने की क्षमता ज्यादा थी. वे लोग किसी भी मुश्किल से घबराते नहीं थे और अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखते थे.
  • इस शोध में यह भी सामने आया कि खुशहाल जीवन जीने वाले लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज करते थे, अपने खाने में पौष्टिक आहार को शामिल करते थे, शराब का सेवन कम से कम करते थे और धूम्रपान से पूरी तरह दूर रहते थे. ये आदतें उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखती थीं.
  • जो लोग अपने जीवन को खुशी से जी रहे थे, उनमें सबसे बड़ी बात यह थी कि वे सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते थे. वे दूसरों की खुशहाली के लिए भी सोचते और काम करते थे. वे खुद को प्रोडक्टिव मानते थे और अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध और व्यवहार बनाए रखते थे.

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