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छठ पूजा पर कैसे निभाएं मायके और ससुराल का साथ? नई-नई दुल्हन जान लें सीख

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कविता गाडरी   |  23 Oct 2025 01:05 PM (IST)

छठ पूजा में अक्सर नई दुल्‍हनें यह सोचकर उलझन में रहती हैं कि व्रत मायके से करें या ससुराल से. छठ पूजा की परंपरा के अनुसार, जो महिलाएं पहली बार छठ करती हैं, वह इसकी शुरुआत अपने मायके से करती हैं.

छठ व्रत टिप्स

दिवाली खत्म होने के बाद अब छठ का त्योहार आने वाला है. इस बार छठ 25 अक्टूबर से लेकर 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी. हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक छठ को न सिर्फ आस्था का प्रतीक माना जाता है, बल्कि यह परिवार को जोड़ने वाला त्योहार भी माना जाता है. भारत के यूपी, बिहार और झारखंड राज्य में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

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छठ की शुरुआत नहाए-खाए से होती है. इसके बाद खरना और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस व्रत को महिलाएं संतान सुख, परिवार की खुशहाली और सूर्य देव की कृपा पाने के लिए करती हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि नई दुल्हनें छठ पूजा पर मायके और ससुराल का साथ कैसे निभा सकती हैं.

नई दुल्हनों के लिए पहला छठ होता है खास

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छठ पूजा केवल व्रत नहीं बल्कि परिवार की परंपराओं का प्रतीक भी माना जाता है. छठ पूजा में अक्सर नई दुल्‍हनें यह सोचकर उलझन में रहती हैं कि व्रत मायके से करें या ससुराल से. छठ पूजा की परंपरा के अनुसार, जो महिलाएं पहली बार छठ करती हैं, वह इसकी शुरुआत अपने मायके से करती हैं. वहीं जिनकी सास जीवित होती है वह ससुराल में ही उनसे व्रत लेकर यह पूजा करती है. ऐसे में जरूरी है कि दोनों परिवारों के साथ संतुलन बैठाया जाए.

मायके और ससुराल को जोड़ने का मौका होता है छठ

छठ का असली रंग घाट पर नजर आता है. जब सैकड़ों महिलाएं गीत गाती हैं हुई सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. नई दुल्हनों के लिए यह बहुत खास पल माना जाता है. ऐसे में अगर संभव हो तो दोनों परिवारों के साथ घाट पर पूजन करें. ससुराल और मायके के लोगों के साथ मिलकर सूप में ठेकुआ, केला, नारियल और खरना सजाएं. घाट पर पूजा करना न स‍िर्फ परंपरा निभाने का तरीका होता है बल्कि रिश्तों में मिठास लाने का तरीका भी माना जाता है.

छठ पर मायके का आशीर्वाद और ससुराल का साथ

छठ पर्व का सबसे बड़ा मैसेज यही होता है कि‍ भक्ति और परिवार दोनों को साथ-साथ लेकर चला जाता है. ऐसे में छठ पूजा के दौरान आप मायके और ससुराल दोनों को प्राथमिकता देकर सबसे बात करके सभी को एक साथ त्योहार में शामिल करें. साथ ही त्योहार के समय और दोनों परिवारों की अलग-अलग परंपराओं के लिए पहले से ही अपने माता-पिता और ससुराल वालों के बीच बातचीत करके ही सब तय करें. इस व्रत के दौरान नई दुल्हनों के लिए मायके का आशीर्वाद और ससुराल का साथ दोनों ही उतना ही जरूरी होते हैं. ‌इस व्रत के दौरान जब दोनों परिवारों के लोग मिलकर पूजा में भाग लेते हैं तो यह जीवन में नए रिश्ते की मिठास मानी जाती है.

ये भी पढ़ें-Chhath Puja History: कब से मनाई जा रही छठ पूजा? देख लें सबसे पुराना सबूत

 

Published at: 23 Oct 2025 01:05 PM (IST)
Tags: chhath puja new brides Chhath Puja 2025 chhath puja tips
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