Pregnancy Nose: मां बनना एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है. हालांकि ये सफर इतना आसान नहीं होता. गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में कई सारे परिवर्तन होते हैं. पेट का बढ़ना, स्तनों का भारी होना, पांव में सूजन से लेकर कई सारी समस्याएं होती है. जो वक्त के साथ ठीक हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान नाक भी प्रभावित हो सकती है. जी हां इन दिनों प्रेगनेंसी नोज की चर्चा खूब हो रही है. कई ऐसी प्रेग्नेंट महिलाएं हैं जो इस बात का दावा कर रही हैं कि प्रेग्नेंसी में उनकी नाक थोड़ी बड़ी और फूली सी दिखाई दे रही है... क्या ऐसा सच में होता है? अगर होता है तो इससे किसी तरह की चिंता करने की जरूरत है या नहीं जानेंगे आगे की आर्टिकल में.


क्यों बढ़ जाती है नाक?


डॉक्टर्स का मानना है कि ऐसा कुछ मामलों में होता है. हालांकि ये कोई मेडिकल टर्म नहीं है. इसका रिलेशन शारीरिक बदलाव से होता है, जो प्रेगनेंसी फेस के दौरान हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है.विशेषज्ञों का कहना है कि पहली तिमाही और दूसरी तिमाही की शुरुआत में भ्रूण के विकास के लिए रक्त वाहिकाओं का विस्तार होता है.आपके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर आपकी नाक के ठीक नीचे आपकी श्लेष्मा झिल्ली में रक्त के प्रभाव को बढ़ा सकता है. रक्त पूर्ति में वृद्धि के कारण आपकी नाक की मांसपेशियां और झिल्लियां फैल जाती है. जिससे आपकी नाक का साइज बढ़ जाता है. तीसरी आखिरी तिमाही के दौरान कुछ महिलाओं को अपने चेहरे पर वाटर रिटेंशन का अनुभव होता है और इससे नाक में सूजन आ जाती है.


क्या प्रेग्नेंसी नोज़ चिंता का विषय है?


सभी गर्भवती महिलाओं की नाक बड़ी नहीं होती. केवल कुछ महिलाएं ही इससे प्रभावित हो सकती है. कुछ महिलाओं में ये भी नोटिस किया जा सकता है कि उनकी नाक का रंग बदलकर लाल हो गया है. यह सब कुछ बदलते हार्मोन के स्तर के कारण होता है.हालांकि गर्भावस्था के बाद ही आपकी नाक अपने सामान्य आकार में वापस आ जाती हैं.इसमें चिंता की कोई बात नहीं है.हमारे शरीर के कुछ एरिया जिनमें म्यूकस मेम्ब्रेन होता है वो इस दौरान बढ़ते हैं औऱ नामक उनमें से एक है.ये लक्षण बिलकुल सामान्य प्रेग्नेंसी लक्षणों की तरह ही है, इसमें कोई नुकसान भी नहीं होता है.वहीं डिलीवरी के बाद नाक का साइज़ भी नॉर्मल हो जाता है.


प्रेग्नेंसी में होने वाली अन्य समस्याएं


1.जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसे अपनी ब्रेस्ट में भारीपन या झनझनाहट महसूस होने लगती है. कुछ मामलों में छूने पर दर्द भी होता है,


2.मॉर्निंग सिकनेस सबसे कॉमन लक्षणों में से एक है.


3.कब्ज की प्रॉब्लम भी प्रेग्नेंसी के समय देखने को मिलती है.


4.प्रेगनेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ने के चलते बॉडी मसल्स रिलैक्स मोड में चली जाती है जिससे डाइजेशन स्लो हो जाता है और कब्ज की समस्या बनी रहती है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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