Spinal Muscular Atrophy: 13 महीने का एक बच्चा ऐसी बीमारी से लड़ रहा है, जिसका अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो उसकी जान भी जा सकती है. इस बच्चे का नाम कनव जांगड़ा है. कनव स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से जूझ रहा है. इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है. यही वजह है कि कई बच्चे इलाज न मिल पाने की वजह से दम तोड़ देते हैं. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है और वो Zolgensma नाम का एक इंजेक्शन है, जिसकी कीमत 18 करोड़ रुपये है. 18 करोड़ इतनी बड़ी रकम है कि एक आम आदमी के लिए इतना खर्च उठा पाना मुश्किल है. यही वजह है कि कनव के माता-पिता अपने बच्चे को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. 
 

  
कनव की मां ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब उनका बच्चा 3 महीने का था तो बाकी बच्चों की तरह उठता-बैठता नहीं था. अब स्थिति ऐसी हो गई है कि कनव के पैरों ने साथ देना बिल्कुल बंद कर दिया है. अगर मामला ऐसा ही चलता रहा तो दिन-ब-दिन कनव की हालत बिगड़ती चली जाएगी और उसका बचना मुश्किल हो जाएगा. इस समय बड़ी संख्या में लोग और सामाजिक संगठन कनव के माता-पिता की मदद में जुटे हैं और 18 करोड़ की रकम जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.



क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी?


स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक आनुवंशिक बीमारी है, जो खासतौर से ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी (मोटर न्यूरॉन्स) को नुकसान पहुंचाती है. मोटर न्यूरॉन्स हाथ, पैर, छाती, गले, चेहरे और जीभ के साथ-साथ मांसपेशियों की गतिविधियों जैसे- चलना, बोलना, निगलना और सांस लेना आदि कंट्रोल करने का काम करते हैं. ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि समय पर इलाज न मिलने पर पीड़ित की जान भी जा सकती है. SMA का सबसे आम रूप म्यूटेट या मिसिंग जीन की वजह से होता है. इसे सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन जीन 1 (SMN1) के तौर पर जाना जाता है. ये आमतौर पर मोटर न्यूरॉन्स के लिए जरूर प्रोटीन के प्रोडक्शन का काम करता है.


स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण


जिन बच्चों को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 की बीमारी होती है. उनकी मांसपेशियां काफी ज्यादा कमजोर हो जाती हैं और सामान्य गतिविधियां भी नहीं कर पातीं. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के शरीर में पानी की कमी होने लगती है और तो और उन्हें सांस लेने भी दिक्कत महसूस होने लगती है. आइए जानते हैं स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के कौन-कौन से लक्षण हैं.


1. हाथ और पैर कमजोर होना


2. हिलने-डुलने में समस्या महसूस होना


3. उठने-बैठने में कठिनाई, रेंगने या चलने में दिक्कत


4. मांसपेशियों में कंपकंपी


5. हड्डी और जोड़ों की समस्याएं, जैसे असामान्य रूप से मुड़ी हुई रीढ़ 


6. निगलने में समस्या


7. सांस लेने में कठिनाई


स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के प्रकार


स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के कई प्रकार होते हैं, जो अलग-अलग उम्र में पैदा होते हैं. कुछ प्रकार ऐसे हैं, जो दूसरों की तुलना में ज्यादा खतरा पैदा करते हैं. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के 4 प्रकार हैं...


टाइप 1 - 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में पैदा होता है और इसे सबसे ज्यादा गंभीर माना जाता है.


टाइप 2 - 7 से 18 महीने के बच्चों में विकसित होता है. ये प्रकार टाइप 1 से कम गंभीर होता है.


टाइप 3 - 18 महीने की उम्र के बाद दिखाई होता है. इस बीमारी का ये प्रकार बच्चों को प्रभावित करने वाला सबसे कम गंभीर प्रकार है.


टाइप 4 - ये वयस्कों को प्रभावित करता है और हल्की समस्याएं पैदा करता है.


कितनी खतरनाक है ये बीमारी?


स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी है. इलाज के बिना कई पीड़ित बच्चे 2 साल की उम्र से पहले ही दम तोड़ देते हैं. बच्चे बिना सपोर्ट के बैठ तो फिर भी सकते हैं, लेकिन बिना सहारे के खड़े होना या चलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है.


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