Dengue Health News : देश की राजधानी दिल्ली में बीते कुछ दिनों से डेंगू (Dengue) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. यहां के अलग-अलग अस्पतालों के डॉक्टरों के मुताबिक, मच्छरों के काटने से होने वाले डेंगू रोग के कई मरीजों को लीवर से जुड़ी दिक्कतें और कैपिलरी लीक के साथ-साथ अन्य दिक्कतें भी होने के मामले सामने आ रहे हैं. कैपिलरी लीक होने पर, प्लाज्मा अलग-अलग वजहों से रक्त नलिकाओं से लीक होकर आसपास के उत्तकों में फैल जाता है. इस वजह से, मरीज का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इस दिक्कत से, समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है.

 

कैसे करें कंट्रोल 

 

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लिवर की समस्या बीमारियों में बहुत अधिक परेशान करने वाली नहीं होती है, लेकिन इसे गंभीरता से लेना चाहिए. लोगों को अधिक से अधिक पेय पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे लिवर में पाचन तंत्र ठीक रहता है. 

 

क्या कहते हैं आंकड़ें

 

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबित, दिल्ली में सिर्फ़ अक्टूबर महीने में ही डेंगू के 900 से भी ज्यादा मामले आए हैं. इस साल, अब तक कुल 1,876 लोग डेंगू का शिकार हुए हैं. 19 अक्टूबर तक के आंकड़ों पर ही गौर करें तो डेंगू के 939 नए मामले मिले हैं. यह इस साल का अब तक के कुल केस का करीब 50 प्रतिशत है.

 

दिल्ली में बढ़ रहे डेंगू के मरीज

 

उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हाल ही में कहा है कि सरकार डेंगू के आंकड़ों पर लगातार नज़र बनाए हुए है. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि डेंगू के मामले बढ़ ज़रूर रहे हैं, लेकिन अब तक इस बीमारी से किसी की भी मौत नहीं हुई है.

 

रोज़ नए मरीज हो रहे भर्ती

 

एक निजी अस्पताल में क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख डॉ सुमित राय ने बताया कि अस्पताल में डेंगू के 37 मरीज भर्ती हैं. यहां पर हर रोज़ औसतन 6 से 10 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. इन मरीजों में लीवर की समस्या के साथ-साथ कैपिलरी लीक की दिक्कत भी आ रही है. ये मरीज 20 से 40 साल की उम्र के ही हैं.

 

कोविड भी हो सकता है एक फैक्टर

 

डॉक्टरों के मुताबिक, मरीजों की सेहत में ये दिक्कतें उनके इम्युनिटी सिस्टम की अनियमित प्रतिक्रिया या कोविड के बाद करीब दो साल के बाद घर से बाहर निकलने की वजह से भी हो सकती हैं. करीब 90 प्रतिशत लोगों का इम्युनिटी सिस्टम संतुलित है. हालांकि, कुछ मामलों में यह बहुत ज्यादा सक्रिय या औसत से कम सक्रिय है. दोनों ही स्थितियां मरीजों के लिए कहीं से भी ठीक नहीं हैं.