हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कहा है कि बड़े पैमाने पर आबादी को कोविड-19 की रैपिड टेस्टिंग से गुजारा जाए तो सिर्फ छह हफ्तों में 'महामारी पर काबू' पाया जा सकता है. चौंकानेवाला खुलासा साइंस एडवांसेस पत्रिका में 20 नवंबर को प्रकाशित हुआ है.


हार्वर्ड में टीएच चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और यूनिर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के विशेषज्ञों ने बताया कि हालांकि रैपिड टेस्ट कम भरोसेमंद होते हैं, लेकिन ऐसे लोगों में बड़े पैमाने पर टेस्ट को आजमाया जा सकता है जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण का कोई लक्षण सामने नहीं आया है.


छह हफ्तों में 'कोरोना महामारी को रोकने' का दावा


उसका फायदा ये होगा कि लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और इस तरह स्वास्थ्य अधिकारियों को लक्षित हस्तक्षेप हासिल करने में मदद मिलेगी. कोविड-19 के रैपिड टेस्ट कीमत में कम और नतीजे मिनटों में देनेवाले होते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर कोविड-19 रैपिड टेस्ट के जरिए कोरोना पॉजिटिव लोगों को पहचान कर बाकी लोगों से अलग-थलग कर दिया जाए, तो महामारी पर रोक लगाने का विशाल प्रभाव देखने को आएगा.


अपनी बात समझाते हुए कोलोराडो यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर वैज्ञानिक डेनियल लारेमोर ने कहा, "जब बहुत बड़ी आबादी को टेस्ट करने की बात हो तो जरूरी है कि ऐसे कम संवेदनशील टेस्ट पर भरोसा किया जाए जो फौरन नतीजा दे, न कि ऐसे अधिक प्रभावी टेस्ट पर जिसका नतीजा कई दिनों बाद सामने आए.


बड़े पैमाने पर रैपिड टेस्टिंग को बताया गया कारगर


जब हम किसी एक संक्रमित मरीज के लिए पूरी आबादी को घरों में कैद करते हैं तो ये बेहतर फैसला नहीं होता. उसके बजाए बड़ी आबादी का जायजा लेकर सिर्फ लक्षित बीमार शख्स को ही रोका जा सकता है."


डेनियल और उनकी टीम ने कंप्यूटर मॉडलिंग से अंदाजा लगाया है कि अगर हर तीन दिन बाद तीन चौथाई आबादी का रैपिड टेस्ट लिया जाए तो उससे संक्रमण के फैलाव में 88 फीसद तक कमी आ सकती है. इस तरह संक्रमण धीरे-धीरे छह हफ्तों में खत्म हो जाएगा.


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