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Worlds Expensive Shawl: दुनिया की सबसे महंगी शॉल जिसे खरीदने के लिए आपको बेचनी पड़ जाएगी प्रॉपर्टी, जानिए कीमत
शहतूश दुनिया की सबसे महंगी शॉल है, जिसकी कीमत लाखों रुपए में हैं लेकिन आप ये शॉल भारत में नहीं खरीद सकते क्योंकि ये भारत में बैन है, जानते हैं क्यों
![Worlds Expensive Shawl: दुनिया की सबसे महंगी शॉल जिसे खरीदने के लिए आपको बेचनी पड़ जाएगी प्रॉपर्टी, जानिए कीमत To buy the world's most expensive shahtoosh shawl, you will have to sell the property, know the price Worlds Expensive Shawl: दुनिया की सबसे महंगी शॉल जिसे खरीदने के लिए आपको बेचनी पड़ जाएगी प्रॉपर्टी, जानिए कीमत](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/11/17/80c0bc1e585723deaed05dee4136d7761668689350803603_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Worlds Expensive Shawl: सर्दियों का मौसम आ चुका है ऐसे में ठंड से बचने के लिए लोग स्वेटर शॉल का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर लोग शॉल का इस्तेमाल खुद को अच्छे से स्टाइल करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, क्यों कि ये बेहद क्लासी लुक देता है किसी भी उम्र के लोगों पर. हम में से कुछ लोग हैं जो नार्मल से ब्रांड का शॉल इस्तेमाल करते हैं.लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो काफी रकम अदा कर के शॉल खरीदते हैं. पशमीना का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा पशमीना को सबसे महंगे शॉल में शुमार किया जाता है. बहुत कम लोग ही इसे खरीद पाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि बाजार में एक ऐसा भी शॉल मौजूद है जो दाम के मामले में पशमीना को भी पीछे छोड़ता है. जी हां हम बात कर रहे हैं शहतूश के शॉल की. इतना महंगा है कि शायद आप इसे खरीदने की भी कल्पना नहीं कर सकते हैं. इसका दाम 5, 10, 50 हजार या एक लाख नहीं बल्कि 15 लाख रुपए है. आप इसे भारत में तो बिल्कुल भी नहीं खरीद सकते क्योंकि यह शॉल कई साल पहले ही बैन हो चुका है.
शहतूश के बारे में विस्तार से जानते हैं
शहतूश के नाम की बात करें तो यह एक पर्शियन शब्द है, जिसका मतलब है किंग ऑफ वूल यानी इसे ऊनों का राजा कहा जाता है. इसे उनमें सबसे अच्छी कैटेगरी का ऊन माना जाता है, लेकिन सवाल अभी वही है कि आखिर यह इतना महंगा क्यों है और सरकार ने इस पर भारत में बैन क्यों लगा दिया है.दरअसल शहतूश शॉल चीरू के बालों से बनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि एक शहतूश के शॉल को बनाने में 4 से 5 चीरू को मारा जाता है इस कारण हर साल करीब 20,000 चीरू शहतूश कारोबार की वजह से मारे जाते हैं यह इसके बालों के जरिए बनाया जाता है और यह चिरू तिब्बत के पहाड़ों में पाया जाता है.
भारत में क्यों है बैन?
साल 1975 में आईयूसीएन द्वारा शहतूश शॉल को बैन कर दिया गया. इसके बाद 1990 में भारत ने भी इस शॉल पर प्रतिबंध लगा दिया. भारत मे बैन के बाद भी कश्मीर में इसे बेचा जाता था लेकिन साल 2000 से इसकी बिक्री बिल्कुल बंद है बता दें कि इसका कई संगठनों की ओर से विरोध किया गया था और चिंता जताई गई थी कि इससे चिरू खत्म हो रहे हैं फिर इस पर बैन लगा दिया गया चीरू को विलुप्त होने से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है. आपको बता दें कि शॉल को बनाने के लिए कई सारे चीरू की हत्या कर दी जाती है अभी इसी हिसाब से आप समझ लीजिए कि इसकी कीमत क्या होगी जानकारी के मुताबिक यह साल 500 डॉलर से लेकर 20 हजार डॉलर तक में भी बिकता है. यानी 1 साल के लिए आपको 15 लाख रुपए तक अदा करने होंगे.
16वीं शताब्दी में हुई थी उत्पत्ति
माना जाता है कि शॉल की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान हुई थी ऐसा माना जाता है कि अकबर को इन शॉलों से बहुत लगाव था और वह उनमें से कुछ के मालिक थे. वास्तव में मुगल शासन के दौरान शॉल कारखाने खूब फल फूल रहे थ. कश्मीर में आय का यह मुख्य स्रोत बन चुका था. जब शाहजहां का शासन था तब शहतूश के शॉल सिर्फ राजघरानों में इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बदलते समय के साथ ही यह कमल लोगों में भी खरीदा जाने लगा और देखते-देखते यह एक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गया.
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