डायबिटीज पर भारतीय टास्क फोर्स 'डायबिटीज इंडिया' ने डॉक्टरों के लिए एडवायजरी दस्तावेज जारी किया है. ये दस्तावेज कोविड-19 मरीजों के स्टेरॉयड से हायपर ग्लाईसीमिया यानी हाई ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने की कई रणनीतियों पर है. स्टेरॉयड के प्रभाव को स्पष्ट करते हुए एडयावजरी में कहा गया, "मध्यम से गंभीर संक्रमण में कोविड-19 मरीजों के लिए ये जीवन रक्षक है, लेकिन उसका औषधीय असर ब्लड में ग्लूकोज को बढ़ा देता है और रोकथाम में अतिरिक्त चुनौतियां पेश करता है." दस्तावेज हायपर ग्लाईसीमिया और स्टेरयॉड पर जागरुकता, हाई ब्लड ग्लूकोज लेवल के बुरे प्रभाव और डिसचार्ज के समय सलाह उपलब्ध कराता है. 


डायबिटीजइंडिया ने जारी की एडवायजरी दस्तावेज


आगे कहा गया, "चिकित्सा बिरादरी के खास वर्ग में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होनेवाली स्टेरॉयड के अनुपयुक्त समय, डोज और अवधि पर चिंता भी है. फिर भी जरूरी है कि जोखिम-फायदे के प्रतिशत को समझा जाए और सीखा जाए कि स्टेरॉयड के इस्तेमाल के वक्त कैसे ब्लड में बढ़ते ग्लूकोज की रोकथाम की जाए." हालांकि, डायबिटीज वाले कई मरीज कोविड-19 से संक्रमित रहे हैं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी बताया है कि अनियंत्रित डायबिटीज कोविड-19 के साथ मिलकर म्यूकॉरमायकोसिस के मामले में बढ़ोतरी की मुख्य वजह है. एम्स निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी संक्रमण में वृद्धि का संबंध इलाज के दौरान 'स्टेरॉयड के अतार्किक इस्तेमाल' से जोड़ा है.


कोविड-19 मरीजों पर स्टेरॉयड के इलाज की गाइड


एडवायजरी में सिफारश की गई है कि ब्लड ग्लूकोज का इलाज 'जरूरी है और तत्काल होना चाहिए' ताकि जटिलताओं से बचा जा सके और ठीक होने की दर में सुधार आ सके. हायपर ग्लाईसीमिया का परीक्षण और इलाज करनेवाले डॉक्टर के लिए एडयाजरी विस्तृत दिशानिर्देश उपलब्ध कराती है. उसमें विभिन्न परिदृश्यों पर आधारित ब्लड ग्लूकोज लेवल का नियंत्रण और इंसुलिन का समायोजन शामिल है. दस्तावेज के मुताबिक, "कोविड-19 महामारी ने हायपर ग्लाईसीमिया की रोकथाम के महत्व पर हमारी आंखों को खोल दिया है. डायबिटीज प्रबंधन का फोकस पिछले कई वर्षों में बदल गया है."


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