जिस टी-72 के आगे छूटते से दुश्मन के पसीने, अब होगा रिटायर... जानें बूढ़े बाहुबली की 'अजेय' कहानी
भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना अत्याधुनिक हथियारों पर जमकर खर्च कर रही है. भारतीय सेना में 12 लाख सैनिक है जो कि अब अपग्रडेशन के दौर से गुजर रहे हैं.

भारत भविष्य की अपनी रक्षा चुनौतियों को देखते हुए लगातार डिफेंस को मजबूत कर रहा है. किसी भी तरह के मुकाबले के लिए भारत सेना पहले से ही तैयारी कर रही है. इसके लिए बकायदा रक्षा मंत्रालय की ओर से टी-72 को अपग्रेड करने की योजना का प्रस्ताव भी पास किया गया है.
टी-72 को भारत में "अजेय" के नाम से जाना जाता है. भारत ने यूरोप के बाहर रूस से पहला टी-72 टैंकर खरीदा था. टी-72 यानी अजेय को 1960 में रूस में बनाया गया और 1973 में सोवियत सेना में शामिल किया गया था.
वर्तमान समय में भारत के पास अजेय टैंक के तीन वैरियंट है, इन तीनों वैरियंट में करीब 2 हजार से अधिक यूनिट शामिल है. भारतीय सेना की तरफ से टी-20 टैंक की जगह उन्नत हथियारों के लिए बड़ी योजना पर काम किया जा रहा है. सेना अब आने वाले समय में युद्ध को ध्यान में रखते हुए नई जेनरेशन और तकनीक के हथियार शामिल कर रही है. अत्याधुनिक हथियारों की खरीद के बाद ही टी-72 टैंकों को रिप्लेस किया जाएगा.
अत्याधुनिक हथियारों पर जमकर खर्च
12 लाख की विशाल क्षमता वाले भारतीय सेना को अपग्रेड करने लिए उन्नत हथियारों पर काफी फोकस किया जा रहा है. भारतीय सेना नई तकनीक को लेकर काफी सजग है. इसके लिए हर संभव मदद मुहैया करायी जा रही है. टी-20 ने लंबे समय तक भारतीय सेना में अपनी सेवा दी है, लेकिन अब इसकी सेवा समाप्त होने वाली है.
भारतीय सेना भविष्य में युद्धों के लिए तैयार 1,770 लड़ाकू वाहन (Future Ready Combat Vehicle) का निर्माण करने के लिए अनुमानित 57,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी परियोजना के लिए प्रस्ताव जारी करने की प्लानिंग कर रही है.
क्या है टी-72 टैंक
टी-72 टैंक एक लड़ाकू टैंक है जो जमीन पर आसानी से चलने में सक्षम है. इसे युद्ध में अपने दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों और सैनिकों को नष्ट करने के उद्देश्य से बनाया गया है. 'अजेय' में 125 एमएम की तोप होती है, जिसकी मारक क्षमता 4,500 मीटर की दूरी तक है. इतना ही नहीं 12.7 मिलीमीटर की मशीन गन से हवा में उड़ने वाले छोटे निशानों को भी आसानी से मार गिराया जा सकता है. इसके अलावा तोप के साथ 7.62 मिलीमीटर की मशीन गन भी लगी हुई है, यह टैंक बहुत सी खूबियों से युक्त है.
कब बना था टी-72 टैंक
वर्तमान समय में भारत के पास टी-72 टैंक के तीन वैरियंट है और तीनों वैरियंट में करीब 2000 से अधिक यूनिट शामिल है. अजेय एक बहुत ही हल्का टैंक है जो 780 हॉर्स पावर जेनेरेट करने में सक्षम है. इस टैंक का निर्माण न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से भी बचने के लिए किया गया है. 1970 के दशक में ये भारतीय सेना का एक हिस्सा बना था. टी-72 यानी अजेय में 125 एमएम की गन लगी है और फुल एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर भी दिया गया है.
टी-72 की खासियत
अजेय का वजन 41 हजार किलोग्राम है. इसमें तीन जवान यानी क्रू आसानी से बैठ सकते है. इस टैंक के कैनन की लेंथ 9,530 एमएम है. अजेय टैंक की ऊंचाई 2,190 एमएम है चौड़ाई 3,460 एमएम. टी-72 टैंक सड़क पर आसानी से अधिकतम 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है. ये कच्चे रास्तों पर 35 से 45 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इतना ही नहीं इस टैंक में एक साथ 1,590 लीटर ईंधन भरा जा सकता है. आज के समय में भारतीय सेना में 2,400 से अधिक टी-72 टैंक उपलब्ध है. इन टैंक्स को अपग्रेड करने की भी आवश्यकता होती है, जिसके लिए इसे फ्रांस, पोलैंड और रूस भेजा जाता है, इसमें काफी खर्च आता है.
टी-72 को अपग्रेड करने की तैयारी
भारतीय सेना टी-72 टैंक को अपग्रेड करने वाली है, जिसके लिए फिलहाल रक्षा मंत्रायल ने सेना को अपने टी-72 टैंकों के लिए मौजूदा 780 हॉर्स पावर के इंजन की जगह 1000 हॉर्स पावर के इंजन को लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके लिए 2,300 करोड़ रुपये की योजना में 200 इंजन सीधे आयात किए जाएंगे, और 800 भारत में ही बनाया जाएगा.
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Source: IOCL





















