भारत में रहने वाला व्यक्ति जब अमेरिका जैसे देश जाता है तो उसे वहां ड्राइविंग करने में बहुत ज्यादा समस्या आती है. इसका कारण है, गाड़ियों की स्‍टेयरिंग का स्‍थान. दरअसल, अमेरिका में गाड़ियों की स्‍टेयरिंग का स्‍थान बाईं ओर है जबकि भारत में ये दाईं ओर है. चलिए अब समझते हैं कि जब दुनिया के कई देशों में गाड़ियों की स्‍टेयरिंग का स्‍थान बाईं ओर है तो फिर भारत में ये दाईं ओर क्यों है और इसका इतिहास गुलामी से कैसे जुड़ा है.


गुलामी से जुड़ा है इतिहास


भारत एक लंबे समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा. इस दौरान देश में कई ऐसी चीजें बदल गईं जो आज भी कायम हैं. इन्हीं में से एक है ट्रैफिक का नियम और गाड़ियों की स्‍टेयरिंग का स्‍थान. दरअसल, ब्रिटेन में जब सड़क पर बग्घियां चलना शुरू हुईं तो बग्घियों का ड्राइवर बाईं तरफ के घोड़े पर बैठता था. ऐसा इसलिए ताकि सामने से आ रही बग्घी बिल्कुल पास से गुजरे और जब बग्घियां क्रॉस हो रही हों तो दोनों बग्घियों पर नजर रखी जा सके. 


इसके बाद जब ब्रिटेन में मोटर कारें आईं तो आदतन उनमें गाड़ियों की स्‍टेयरिंग का स्‍थान दाईं ओर ही रहा. अब उस दौर में भारत ब्रिटेन का गुलाम था तो यहां भी स्‍टेयरिंग का स्‍थान दाईं ओर ही रहा. आजादी के बाद भारत में कई चीजें बदलीं लेकिन स्‍टेयरिंग का स्‍थान नहीं बदला.


क्या इसके कुछ फायदे हैं?


इस मुद्दे पर कई बार रिसर्च हुई और एक्सपर्ट की राय ली गई. 1969 में भी इस पर एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि बाईं ओर चलने वाले ट्रैफिक से दाईं ओर चलने वाले ट्रैफिक के मुकाबले कम हादसे होते हैं. इसके पीछे जो मुख्य कारण है वो ये है कि जब ड्राइवर की सीट दाईं ओर रहती है तो उसकी नजर गाड़ी चलाते वक्त पूरे सड़क पर रहती है. ऐसे में दुर्घटना होने का खतरा कम हो जाता है.


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