अमेरिका में हाल ही में एक अजीब मामला देखनेे को मिला. जहां एक चीनी छात्र की साइबर किडनैपिंग हो गई. फिर जब पुलिस नेे उस 17 वर्षीय छात्र काई झुआंग को ढूंढता शुरू कियाा तो वो छात्र सुदूर ग्रामीण इलाके में एक टेंट मेें अकेला बैठा पाया गया. पुलिस के अनुसार उस छात्र के पैरेंट्स नेे 28 दिसंबर को अपनेे बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन जब तक पुलिस उस छात्र को ढूंढ पाती उस समय तक उसके पैरेंट्स किडनेपर्स को 80 हजार डॉलर यानी लगभग 66,55,308 भारतीय रुपए की रकम दे चुके थे. 


पुलिस नेे जब काई को ढूंढा तो पाया कि ऐसा लग रहा था कि काई नेे खुद को आईसोलेट कर लिया है. वहीं पुलिस ने इस मामले को 'साइबर किडनैपिंंग' करार दिया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये साइबर किडनैपिंग होती क्या है. चलिए जानते हैं.


क्या होती हैै साइबर किडनैपिंग
साइबर किडनैपिंग का मतलब ऐसे अपहरण से होता है जिसमें बदमाश किसी व्यक्ति को खुद को आइसोलेट करने या छिपने को राजी कर लेते हैं. इसके बाद वो बदमाश उस वक्ति के पेरेंट्स या परिजनों से फिरौती की मांग करते हैं. साइबर किडनैपर, पीड़ित को इस हद तक अपनी बात मानने के लिए राजी कर लेते हैं कि पीड़ित खुद अपनी ऐसी तस्वीरें उनके साथ शेयर कर देता है, जिससे ऐसा लगनेे लगता है कि वो वाकई किडनैप हुआ है और उसकी जान जोखिम में है. इन तस्वीरों में पीड़ित के हाथ-पैर बंधे होते हैं, मुंह पर पट्टी बंधी होती है. जिनका इस्तेमाल किडनैपर्स फिरौती के लिए करते हैं.


20 दिसंबर से किडनैैपर्स के संपर्क में था छात्र
चीन में हुई साइबर किडनैपिंग की घटना में भी कुछ ऐसा ही हुआ. जहां अपनेे बेटे की इस तरह की तस्वीरों ने उसके पैरेंट्स को डरा दिया. पुलिस के अनुसार साइबर किडनैपर्स, 20 दिसंबर से चीनी लड़के के संपर्क में थे और उसे अपनी बातों से बहला रहे थे. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना हैै कि इस तरह के किडनैपर्स बहुत चालाक होते हैं और ऐसे बच्चों को अपनी बातों में बहलाते हैं जो आसानी से उनके निशाने पर आ जाएं. इस तरह की घटना में हैकर्स पीड़ित की सारी जानकारी निकालकर उसे निशाना बनाते हैं.


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