आपने कई बार सरकारी गाड़ियों पर देखा होगा कि उनके नंबर प्लेट की जगह पर स्टार लगे होते हैं. क्या आप इन स्टार्स का मतलब जानते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इन स्टार्स का क्या मतलब होता है और कितने स्टार किस अधिकारी को मिलते हैं.


स्टार्स का मतलब


बता दें कि गाड़ियों के आगे लगे हुए स्टार्स मामूली स्टार नहीं होते हैं. ये स्टार्स अलग-अलग विभाग के अधिकारियों को दिया जाता है. जैसे पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी, सेना के बड़े अधिकारियों को ये स्टार सरकारी गाड़ी के आगे लगाने की अनुमति होती है. अब सवाल ये है कि आखिर किस अधिकारी को कितने स्टार्स के बोर्ड लगाने की अनुमति होती है. 


बता दें कि अगर नीली प्लेट पर स्टार्स लगे हैं, तो समझिए पुलिस की गाड़ी है. वहीं अगर गाड़ी पर तीन स्टार हैं, तो वह गाड़ी डीजीपी की होगी. इसके अलावा अगर गाड़ी में दो स्टार्स लगे हैं, तो उस गाड़ी में आईजी रैंक का अधिकारी बैठा होता है. इसके अलावा अगर सिर्फ एक स्टार लगा है, तो उसमें डीआईजी रैंक का अधिकारी बैठा हो सकता है.


भारतीय सेना का नंबर प्लेट 


वहीं अधिकांश भारतीय सेना वाहनों की नंबर प्लेटों का बैकग्राउंड रंग हरा या काला होता है. बता दें कि काले या हरे रंग की नंबर प्लेट वाले भारतीय सेना के वाहन आमतौर पर अधिकारियों या उनके तत्काल परिवार द्वारा आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं. वहीं तीनों भारतीय सेना या रक्षा बलों के संबंधित चीफ ऑफ स्टाफ द्वारा उपयोग किये जाने वाले वाहनों की नंबर प्लेटों में 4 सितारों के साथ एक अलग पृष्ठभूमि रंग होता है. ये रंग संबंधित चीफ ऑफ स्टाफ के पद को दर्शाता है.


इसके अलावा भारतीय थल सेनाध्यक्ष की नंबर प्लेट का बैकग्राउंड रंग लाल का होता है, इस पर 4 सितारे लगे होते हैं. जबकि भारतीय नौसेना स्टाफ के प्रमुख और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) स्टाफ के चीफ का नंबर प्लेट का बैकग्राउंड नेवी ब्लू या आसमानी नीला होता है. इन नंबर प्लेच पर 4 सितारों के साथ अलग-अलग रंगों और उन पर 4 सितारों के अलावा चीफ ऑफ स्टाफ के वाहनों पर नंबर प्लेटों का प्रारूप और अर्थ समान रहता है. 


इसी तरह फील्ड मार्शल, भारतीय वायु सेना के मार्शल और बेड़े के एडमिरल जैसे प्रतिष्ठित रैंक वाले अधिकारियों की कार या वाहन की नंबर प्लेट पर 5 स्टार होते हैं. इन भारतीय सेना नंबर प्लेटों पर 5 सितारे दर्शाते हैं कि भारतीय सेना के फील्ड मार्शल/मार्शल/बेड़े के एडमिरल अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी अपने निधन तक अपनी आधिकारिक वर्दी पहन सकते हैं.


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