भारत में आज अधिकांश लोग ट्रेनों से सफर करते हैं. यात्रियों के अलावा सामान को भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत और दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन कौन सी है और इसमें कितने कोच लगे हुए हैं. 


 दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन


बता दें कि द ऑस्ट्रेलियन बीएचपी आयरन ओर दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन है. यह ट्रेन जून 2001 में चलाई गई थी और इसकी लंबाई करीब 4.6 मील यानी 7.353 किमी थी. यह दुनिया के इतिहास की अब तक की सबसे लंबी ट्रेन थी. पश्चिम ऑस्ट्रेलिया के पीलबारा इलाके में बीएचपी की अपनी प्राइवेट रेल लाइन है. इसे माउंट न्यूमैन रेलवे कहा जाता है. बता दें कि इस रेल नेटवर्क को आयरन ओर यानी लौह अयस्क के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डिजाइन किया गया है. बीएचपी उस इलाके में एक और रेल लाइन को ऑपरेट करती है, जिसे द गोल्ड्सवर्थी रेलवे कहा जाता है.


द ऑस्ट्रेलियन बीएचपी आयरन  7.3 किमी लंबी थी. ये लंबी रेलगाड़ी के साथ दुनिया की सबसे लंबी और भारी मालगाड़ी थी. इस ट्रेन में 682 डिब्ल लगे थे, जिसे खींचने के लिए आठ मजबूत जनरल इलेक्ट्रिक एसी 6000 सीडब्लू डीजल लोकोमोटिव लगाए गए थे. इस ट्रेन ने पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में यांडी माइन से पोर्ट हेडलैंड का 275 किमी का सफर 10 घंटे चार मिनट में पूरा किया था. हालांकि रास्ते में चढ़ाई के दौरान एक कॉपलर ट्रेन से निकल गया था, इस कारण इस ट्रेन यात्रा में चार घंटे 40 मिनट की देरी हुई थी. उस दौरान इस ट्रेन में 82,000 टन आयरन ओर भरा था. यह ट्रेन इतनी लंबी थी कि इसमें 24 एफिल टावर फिट हो सकते थे. क्योंकि एफिल टावर की लंबाई 300 मीटर है. वहीं इस ट्रेन का वजन करीब एक लाख टन था. 


आज भी चलती है ये ट्रेन


बता दें कि आज भी बीएचपी आयरन ओर ट्रेन चलती है. इसमें 270 डिब्बे लगे हुए हैं, जिन्हें चार डीजल लोकोमोटिव इंजन खींचते हैं. यह ट्रेन करीब 38,000 टन लौह अयस्क लेकर जाती है. हालांकि पहले सबसे लंबी ट्रेन का रिकॉर्ड साउथ अफ्रीका के पास था. वहां 1991 में 71,600 टन वजन वाली ट्रेन चलाई गई थी. यह ट्रेन साइशेन से साल्डान्हा के बीच चली थी और इसमें आयरन ओर भरा था. वहीं इसमें 660 वैगन थे और इसकी लंबाई 7,200 मीटर थी. इसे खींचने के लिए नौ इलेक्ट्रिक और सात डीजल लोकोमोटिव इंजन लगाए गए थे.


भारत की सबसे लंबी ट्रेन


भारतीय रेलवे ने साल 2022 में 15 अगस्त के दिन देश की सबसे लंबी और सबसे भारी ट्रेन चलाने की उपलब्धि हासिल की थी. इसे सुपर वासुकी नाम दिया गया था. बता दें कि ये 3.5 किलोमीटर लंबी इस मालगाड़ी को खींचने के लिए एक दो नहीं बल्कि पूरा पांच इंजन लगाए गए थे. इस ट्रेन के 295 डिब्बों में 27,000 टन कोयला भरा था. यह छत्तीसगढ़ के कोरबा से नागपुर के लिए चली थी और इसने 267 किलोमीटर का सफर 11 घंटे 20 मिनट में पूरा किया था. इससे पहले रेलवे ने एनाकोंडा और शेषनाग जैसी ट्रेनें भी चलाई थी. 


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