दुनिया के अधिकांश देश अब अपनी करेंसी खुद ही छापते हैं. लेकिन आज भी बहुत सारे ऐसे छोटे देश हैं, जो करेंसी छापने के लिए दूसरे देशों और कंपनियों की मदद लेते हैं. लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि चीन की एक कंपनी पूरी दुनिया में करेंसी नोट प्रिंटिंग के मामले में सबसे आगे निकल चुकी है. आज हम आपको बताएंगे कि ये कंपनी किन-किन देशों की करेंसी छाप रही है.


चीन की कंपनी


जानकारी के मुताबिक ये कंपनी चीन की सरकारी कंपनी है. लेकिन करेंसी नोट प्रिंटिंग के मामले में इसका सेटअप इतना बड़ा हो चुका है कि ये बड़े पैमाने पर दुनिया के तमाम देशों के ना केवल नोट छाप रहा बल्कि सिक्के भी ढालता है. वहीं ये कंपनी नोट में इस्तेमाल होने वाली स्याही से लेकर कागज और थ्रेड तक ये खुद तैयार करते हैं. इसका प्रिंटिंग सेटअप चीन में कई शहरों में फैला हुआ है. 


बता दें कि इस कंपनी का नाम चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन यानी सीबीपीएम है. इस कंपनी के पास नोट छापने और उससे जुड़े सामान उपलब्ध कराने के 10 बड़े कारखाने हैं. इसमें 18000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. चीन का दावा है कि ये दुनिया का सबसे सुरक्षित नोट छापने वाला प्रिंटिंग सेटअप है, जहां से एक नोट भी बिना अनुमति के बाहर नहीं जा सकता है. 


ब्रिटेन और अमेरिका से बड़ा सेटअप


माना जा रहा है कि चीन का ये सेटअप ब्रिटेन और अमेरिका की तुलना में बहुत बड़ा सेटअप है. क्योंकि यूएस ब्यूरो ऑफ एनग्रेविंग एंड प्रिंटिंग में 2,000 से कम ही कर्मचारी काम करते हैं. जबकि वहीं ब्रिटेन की डी ला रू में भी 3,000 से अधिक कर्मचारी हैं. वहीं भारत का करेंसी नोट प्रिंटिंग सेटअप भी अब बड़ा हो चुका है, भारत के पास भी इतने कर्मचारी नहीं हैं. जर्मनी के गिसेके और डेवरिएंट के पास भी इतने कर्मचारी नहीं है, जितने चीन अपने कंपनी में दावा कर रहा है. 


चीनी कंपनी की शुरूआत


चीन की इस प्रिंटिंग कंपनी की शुरुआत मुख्य तौर पर 1984 में चीन की मुद्रा छापने के साथ हुई थी. लेकिन धीरे-धीरे इस कंपनी ने बहुत बड़ा व्यापार खड़ा कर लिया है. कहा जाता है कि जब चीन में डिजिटल लेन देन शुरू हुआ था, तब कम कागजी युआन नोट छपने लगे थे. इसके बाद चीन ने बाहर के देशों से नोट छापने के आर्डर लेने शुरू किये थे. आज दुनिया के बहुत से देश करेंसी नोट छपवाने के लिए उसके पास आने लगे हैं, जिसमें भारत के सारे पड़ोसी देश भी शामिल हैं.


साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन सभी एशियाई देश जो अपनी मुद्रा खुद नहीं छापते हैं, वो अब चीन में छपवाने लगे हैं. जिस पर उन्हें जो खर्च आता है, वो बाकी जगहों की तुलना में कम आता है. 


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