Mossad Dangerous Operations: अमेरिका के वाशिंगटन में इजरायली दूतावास के बाहर दो कर्मचारियों की हत्या के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि पूरी दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ मैं अकेला खड़ा हूं. दूतावास के बाहर दो कर्मचारियों की हत्या इस बात की गवाह है कि इजरायल को यहूदी विरोधी भावना की कितनी भयानक कीमत चुकानी पड़ी है. इजराइयल के खिलाफ खूनी जंग की कीमत खून से ही चुकानी पड़ती है. नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब वह गाजा को पूरी तरह से नियंत्रण में लेने की बात कह रहे हैं.   बता दें, इजरायल बीते कई साल से गाजा में भीषण जंग लड़ रहा है. भले ही हमास और इजरायल के बीच सीजफायर हो चुका हो, लेकिन यहां तनाव अभी भी बना हुआ है. ऐसे में नेतन्याहू की नई धमकी ने दुनिया की टेंशन फिर से बढ़ा दी है. इस टेंशन का सबसे बड़ा कारण इजरायल की खुफिया एजेंसी 'मोसाद' है, जिसकी पहुंच से दुनिया के हर कोने तक है. इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि इजरायल ने अपने ऊपर हुए हर हमले का बदला खून से ही लिया है. चलिए जानते हैं कि 'मोसाद' ने कब-कब ऐसे खतरनाक मिशनों को अंजाम दिया.

नाजी ऑफिसर एडॉल्ड आइशमन का अपहरण

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के कारनामों से दुनिया वाकिफ है, लेकिन पहली बार इस एजेंसी ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ तब खींचा, जब 1960 में मोसाद के 14 एजेंटों की एक टीम ने नाजी ऑफिसर एडॉल्ड आइशमन का अर्जेंटीना से अपहरण कर लिया. मोसाद के एजेंट उसे इजरायल लाने में भी कामयाब रहे. उस पर द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदियों के उत्पीड़न और हत्या के आरोप थे. इजरायल लाकर आइशमन को फांसी की सजा दी गई. 

दूसरे देश में हाईजैक विमान को बचाया

इजरायल की खुफिया एजेंसी के सबसे खतरनाक मिशनों में से यह एक है. 1976 में  पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ पेलेस्टन के सदस्यों पेरिस जा रहे विमान को हाईजैक कर लिया था. इस विमान को युगांडा ले जाया गया था. इसके बाद मोसाद ने इजरायली कमांडोज के साथ मिलकर हवाई अड्डे पर हमला किया और 100 इजराइली और यहूदी बंधकों को बचाया था. 

11 खिलाड़ियों की हत्या के बाद चुन-चुनकर आतंकियों का खात्मा

जर्मनी के म्यूनिख में 1972 में खेले गए ओलंपिक में इजरायल के 11 खिलाड़ियों की हत्या कर दी गई थी. इसका बदला लेने के लिए मोसाद ने रैथ ऑफ गॉड ऑपरेशन चलाया था. मोसाद एजेंटों ने दुनिया के कई देशों में ढूंढ-ढूंढकर 11 खिलाड़ियों की हत्या करने वाले आतंकियों को मौत के घाट उतारा था. सबसे आखिरी में इस हमले का मास्टरमाइंड अली हसन सलामेह को लेबनान की राजधानी बेरूत में गोली मार दी गई थी. 

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