आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम बात कही है. बिहार में चल रहे SIR पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की है कि इसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में पेश नहीं किया जा सकता. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए आधार कार्ड काफी है, क्या कहता है 2016 का आधार एक्ट? तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं कि आधार कार्ड है क्या.

आधार कार्ड क्या है? 

आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा जारी किया गया 12 अंकों का एक विशिष्ट पहचान पत्र है. यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी UIDAI द्वारा बनाया जाता है. इसमें व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि, पता, फिंगरप्रिंट और आंखों की स्कैनिंग जैसे बायोमेट्रिक डेटा शामिल होते हैं. आधार का मुख्य उद्देश्य है लोगों को एक पहचान देना, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे. 

क्या है पूरा मामला

दरअसल चुनाव आयोग ने बिहार में आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मानने से इंकार कर दिया है. जिसके चलते 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए. इसी के खिलाफ आरजेडी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.

आधार एक्ट 2016 की धारा 9 में क्या है

कानून के मुताबिक आधार कार्ड केवल पहचान और पते का प्रमाण है न कि नागरिकता का. आधार एक्ट 2016 की धारा 9 साफ कहती है कि आधार नंबर या उसका प्रमाणीकरण किसी व्यक्ति को नागरिकता या निवास का अधिकार नहीं देता. इसका मतलब है कि आधार कार्ड होने से यह साबित नहीं होता कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने भी 2018 के पुट्टस्वामी मामले में कहा था कि आधार नागरिकता का सबूत नहीं है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि आधार को नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता खासकर बिहार की मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए.

तो फिर नागरिकता कैसे साबित होती है? भारत में नागरिकता साबित करने के लिए कुछ खास दस्तावेज चाहिए, जैसे पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र या निवास प्रमाण पत्र. ये दस्तावेज साफ तौर पर किसी व्यक्ति के भारतीय नागरिक होने की पुष्टि करते हैं. लेकिन आधार, वोटर आईडी, पैन कार्ड या राशन कार्ड जैसे दस्तावेज नागरिकता का सबूत नहीं माने जाते, क्योंकि ये सिर्फ पहचान और पते के लिए हैं.

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