Human Colonization on Mars: मंगल और चांद पर इंसानी कॉलोनी बसाने की योजना अब केवल कल्पना नहीं रह गई है, बल्कि दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. हालांकि, इसमें कई तरह की चुनौतियां भी हैं, इसके बावजूद वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में इंसान मंगल और चांद पर अपना अस्तित्व स्थापित कर सकता है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि धरती से निकल कर इंसान मंगल और चांद पर कब तक शिफ्ट हो जाएंगे और वहां जमीन लेना कितना किफायती होगा. मंगल पर इंसानी बस्ती का सपना
स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने 2050 तक मंगल ग्रह पर 10 लाख लोगों का शहर बसाने की बात कही थी. एलन मस्क के इस सपने को लेकर कई एक्सपर्ट का कहना है कि यह सपना अगले कुछ दशकों में सच हो सकता है. उनका मानना है कि पानी की उपलब्धता, खेती-बाड़ी और ईंधन के लिए बर्फ से हाइड्रोजन निकलना मंगल पर कॉलोनी बसाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम होंगे. हालांकि, कई वैज्ञानिक इस समय सीमा पर सहमत नहीं है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 2050 तक मंगल पर कॉलोनी बसाना इतना आसान नहीं है. सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि कठिन वातावरण, रेडिएशन का खतरा, ठंडा तापमान और जरूरी संसाधनों की सीमित उपलब्धता के कारण यह काफी मुश्किल हो सकता है. चांद और मंगल पर बसने को लेकर अमेरिका और चीन की तैयारी
अमेरिका 2030 से 2040 के बीच और चीन 2033 तक मंगल ग्रह पर इंसान भेजने की योजना बना रहा है. इस मिशन का पहला कदम मानव को भेजना है, फिर काॅलोनियां बसाना. इसके अलावा चांद पर भी अमेरिका, चीन और भारत जैसे देश अपनी योजनाएं बना रहे हैं. अमेरिका अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत 2028 तक चांद पर इंसानी मिशन भेजने का लक्ष्य रख चुका है. वहीं चीन 2036 तक चांद पर बेस बनाना चाहता है. भारत भी इस दिशा में अपने अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी कर रहा है. क्या रहेगी तकनीकी चुनौतियां
मंगल पर पहुंचने में वर्तमान तकनीक के हिसाब से कम से कम 7 से 9 महीने लगते हैं. यात्रा का समय पृथ्वी और मंगल की दूरी और रॉकेट की गति पर निर्भर करता है. इसके अलावा मंगल पर कॉलोनी बसाने के लिए स्थानीय खनिजों का उपयोग और वहां बुनियादी ढांचा तैयार करना बहुत महंगा और कठिन है. इसे लेकर फ्रांस की यूनिवर्सिटी ऑफ स्ट्रॉसबोर्ग की राय है कि सौरमंडल से बाहर किसी एक्सोप्लैनेट पर कॉलोनी बसाने में वर्तमान तकनीकी के सहारे सैकड़ों साल लग सकते हैं. इसके लिए ऐसे स्पेसक्राफ्ट की जरूरत होगी, जिसमें इंसान अपनी अगली पीढ़ी पैदा कर सके और उसे यान चलाने की ट्रेनिंग दे सकें. चांद पर इंसानी कॉलोनी
चांद पर इंसानी कॉलोनी बसाना मंगल के मुकाबले आसान माना जा रहा है, क्योंकि वहां गुरुत्वाकर्षण कम है और दूरी पृथ्वी से केवल तीन दिन की है. दक्षिणी ध्रुव के स्थायी अंधेरे वाले गड्डों में बर्फ मिलने की संभावना भी है जो पानी और ऑक्सीजन के उत्पादन में मदद कर सकती है. वहीं चांद पर बेस बनाने के कई फायदे भी हैं. इससे सौर ऊर्जा का उत्पादन कर पृथ्वी को भेजा जा सकता है. गुरुत्वाकर्षण कम होने की वजह से अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण सस्ता हो सकता है. चांद और मंगल पर जमीन लेना कितना किफायती कुछ संस्थाएं जैसे Luna Society International और International Lunar Land Registry दावा करती हैं कि वह चांद पर जमीन बेचती हैं. हालांकि 1967 के आउटर स्पेस सिटी के अनुसार चांद और अन्य खगोलीय पिंड किसी भी देश या व्यक्ति की संपत्ति नहीं हो सकते हैं. इसलिए कानूनी रूप से जमीन खरीदना वैध नहीं है.
ये भी पढ़ें-Mahatma Gandhi: गांधी जी की मौत पर फूट-फूटकर रोए थे भारत के ये नेता, जिन्ना ने तो दे दिया था ऐसा बयान