भारत में जजों का करियर अत्यंत सम्मानजनक और प्रतिष्ठित माना जाता है. वे कानून और न्याय के क्षेत्र में दशकों तक सेवा देते हैं,, लेकिन अक्सर सवाल उठता है कि रिटायरमेंट के बाद जज अपनी जिंदगी कैसे गुजारते हैं और उनकी आमदनी का स्रोत क्या होता है. चलिए जान लेते हैं कि आखिर रिटायरमेंट के बाद जज कहां से कमाई करते हैं.

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जजों को कितनी मिलती है पेंशन

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायर होने के बाद सरकारी पेंशन और अन्य भत्तों के पात्र होते हैं. सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिटायरमेंट के बाद जीवन पर्यंत लगभग 2.25 लाख रुपए मासिक पेंशन मिलती है, जबकि उच्च न्यायालय के जजों की पेंशन थोड़ी कम होती है. इसके अलावा उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान भी दिए जाते हैं.

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रिटायर होने के बाद सेकेंडरी ऑप्शन

हालांकि कई जज रिटायरमेंट के बाद सेकेंडरी इनकम के विकल्प तलाशते हैं. इनमें मुख्य रूप से अधिवक्ता के रूप में काम करना शामिल है. रिटायर्ड जज अक्सर वरिष्ठ अधिवक्ताओं की तरह केसों की सलाह देते हैं या महत्वपूर्ण मुकदमों में वकालत करते हैं. उनके अनुभव और प्रतिष्ठा के कारण उनकी सैलरी बहुत हाई होती है.

कहां से कमाई करते हैं जज

इसके अलावा कई जज एकेडमिक फील्ड और संस्थानों से जुड़ जाते हैं. वे लॉ यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर बनते हैं, सेमिनार और लेक्चर देते हैं, और पब्लिकेशन भी लिखते हैं. कुछ जज अर्बिट्रेशन और मध्यस्थता (Arbitration & Mediation) के क्षेत्र में भी काम करते हैं. कई बार रिटायर जजों को कॉर्पोरेट और इंडस्ट्री से भी सलाहकार के रूप में रखा जाता है. रिटायर जज कई बार सरकारी समितियों और आयोगों में शामिल होते हैं. इनमें मानवाधिकार आयोग, भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और ट्रिब्यूनल जैसी संस्थाएं शामिल होती हैं. इन पदों पर उन्हें विशेष भत्ते और मानदेय मिलता है.

रिपोर्ट्स की मानें तो रिटायर जजों की इनकम उनके रिटायरमेंट के बाद भी काफी अच्छी रहती है. यह उनकी प्रतिष्ठा, अनुभव और न्याय क्षेत्र में दशकों की सेवा का नतीजा होता है. रिटायरमेंट के बाद जज की जिंदगी केवल न्यायालय तक सीमित नहीं होती, बल्कि रिटायरमेंट के बाद भी उनके पास कमाई के कई ऑप्शन होते हैं.

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