Delhi HC Asked Amazon To Stop Selling Rooh Afza: रूह अफजा (Rooh Afza) का नाम ही ठंडक का एहसास कराने के लिए काफी है, लेकिन इन दिनों इसका नाम ठंडक नहीं बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच गर्मी बढ़ाने का काम कर रहा है. मौजूदा मामला हमदर्द (Hamdard) पर अधिकारों के बारे में है. ये भारत, पाकिस्तान (Pakistan) और बांग्लादेश (Bangladesh) में रूह अफ़ज़ा से जुड़ा एक नाम है, जिसकी उत्पत्ति एक ही है.


दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक आदेश में कहा है कि ऐमजॉन (Amazon) भारत में अपने प्लेटफॉर्म से रूह अफजा नाम के पाकिस्तानी कंपनी के बनाए पेय को तत्काल हटाए. कोर्ट का ये आदेश 7 सितंबर भारतीय सामाजिक कल्याण एनजीओ हमदर्द नेशनल फाउंडेशन (Hamdard National Foundation) की दायर की गई एक याचिका पर आया था. इसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि भारत में ई-कॉमर्स साइट (E- Commerce Site) पर सूचीबद्ध कुछ "रूह अफजा" भारत की हमदर्द प्रयोगशालाओं ने नहीं बनाए हैं. याचिका में कहा गया था कि ये पाकिस्तानी कंपनी ने बनाए हैं और पैकेजिंग में इस कंपनी के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी गई है.


क्या है रूह अफजा 


रूह अफज़ा शर्बत एक सांद्रित (Concentrate) पेय है. ये एक यूनानी नुस्खे से तैयार किया गया गाढ़ा मिश्रण हैं. माना जाता है कि इसमें शीतलता देने के गुण होते हैं. गर्मियों के दौरान उत्तर भारत में इसका इस्तेमाल लंबे वक्त से होता आ रहा है. कहा जाता है कि इसका आविष्कार दिल्ली में 20वीं शताब्दी के पहले दशक में गर्मी के इलाज या उससे राहत पाने के लिए किया गया था.


अदालत ने अपने आदेश में कहा," रूह अफजा' एक ऐसा उत्पाद है जिसका सेवन भारतीय जनता एक सदी से अधिक वक्त से कर रही है. इसके गुणवत्ता मानकों को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (Food Safety and Standards Act) के साथ ही कानूनी माप विज्ञान अधिनियम (Legal Metrology Act) के निर्धारित किए गए नियमों का पालन करना होगा. कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि एक आयातित उत्पाद उसके निर्माता के पूरे विवरण का खुलासा किए बगैर ऐमजॉन पर बेचा जा रहा है."


ऐसा ही एक पेय पाकिस्तानी निर्माताओं में से एक हमदर्द प्रयोगशाला-वक्फ (Hamdard Laboratory Waqf) का है, जिसका उत्पाद ऐमजॉन पर बेचा जा रहा था. वक्फ अपनी वेबसाइट पर कहता है कि हमदर्द पाकिस्तान की स्थापना कराची में "1948 में तिब्ब-ए-यूनानी (Tibb-e-Unani) के दो कमरे के किराए के क्लिनिक में की गई थी.


इसे स्थापित करने वाले हकीम मोहम्मद सईद (Hakim Mohammed) थे. हमदर्द जल्द ही अपने बेहद पसंद किए जाने वाले अच्छे उत्पाद की वजह से कामयाबी की इबारत बन गया. खासकर रूह अफजा सिरप और अपनी असरदार हर्बल दवाओं की वजह से.


रूह अफज़ा आया कहां से


रूह अफ़ज़ा एक गहरे गुलाबी रंग का मीठा गाढ़ा सिरप है. ये फलों, गुलाबों और जड़ी-बूटियों से बना होता है. इसे आमतौर पर ठंडे पानी या दूध में मिलाया जाता है. इसे फ़िरनी और फालूदा जैसे डिजर्ट्स में भी फ्लेवर देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसकी खपत अक्सर उपमहाद्वीप में ईद के दौरान होती है.


रोजा खोलने के लिए यानी इफ्तारी के खाने में कई तरह के व्यंजनों में अक्सर रूह अफजा का इस्तेमाल होता है.इस शर्बत के फार्मूले का आविष्कार हकीम हाफिज अब्दुल मजीद (Hakim Hafiz Abdul Majeed) ने किया था. जिनके पास एक छोटा क्लिनिक था जो यूनानी प्रैक्टिस करते थे.ये ग्रीको-अरबी दवा की एक प्राचीन परंपरा जो मध्य पूर्व और कुछ दक्षिण एशियाई देशों में मशहूर है.


यूनानी इलाज को भारत को आयुष (AYUSH) मंत्रालय से "स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की पारंपरिक और गैर-पारंपरिक पद्धतियों में से एक के तौर पर मान्यता प्राप्त है. इनमें आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी उपचार की पारंपरिक और गैर-पारंपरिक   भी शामिल हैं.


ऐसा कहा जाता है कि 1906 में मजीद ने उत्तर भारत में गर्मी की वजह से होने वाले हीट स्ट्रोक, थकान और अन्य सेहत संबंधी परेशानियों को रोकने के लिए किसी चीज़ की खोज शुरू की थी . इसके एक साल बाद ही उन्होंने रूह अफज़ा को बना डाला. हालांकि ये एक दवा कम  शीतल पेय अधिक था. 34 साल की उम्र में मजीद की मौत हो गई. इसके बाद उनकी पत्नी राबिया बेगम ने हमदर्द को एक ट्रस्ट घोषित कर दिया. इसका मकसद अहम तौर पर परोपकारी कामों और यूनानी दवाओं पर शोध करना था.


तीन रूह अफ़ज़ा की कहानी


भारत के बंटवारे और पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बनने के बाद राबिया बेगम का बड़ा बेटा हकीम अब्दुल हमीद (Hakim Abdul Hamid) भारत में रहे. जबकि छोटा बेटा हकीम मोहम्मद सईद ( Hakim Mohammed Said) पश्चिमी पाकिस्तान चला गया. यही वजह है कि हमदर्द नेशनल फाउंडेशन भारत में रूह अफजा पेय पर हक रखता है.


वहीं हमदर्द लेबोरेटरीज (वक्फ) इसे पाकिस्तान में बनाती है. इससे पहले 2019 में ईद के करीब भारत में सिरप की कमी की रिपोर्ट के बाद हमदर्द लेबोरेटरीज (Hamdard Laboratories ) पाकिस्तान ने  भारत सरकार की मंजूरी मिलने की स्थिति में वाघा सीमा (Wagah border) के जरिए रूह अफजा की आपूर्ति करने की पेशकश की थी.


साल 1971 में बांग्लादेश के बनने के बाद वहां एक अलग हमदर्द ट्रस्ट की स्थापना की गई. न्यूयॉर्क टाइम्स ने 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि तीनों देशों में रूह अफजा का व्यवसाय  एक दूसरे से पूरी तरह से स्वतंत्र होकर चलाया जा रहा है.


तीनों देशों में ये व्यवसाय बढ़े हुए परिवार के सदस्यों या हर्बलिस्ट हकीम हाफिज अब्दुल मजीद के दोस्त चला रहे हैं. 15 सितंबर गुरुवार को भारत में मामले में अदालत में याचिका दायर करने वाले वादी के मुताबिक हमदर्द इंडिया रूह अफज़ा के नाम से बेचे जाने वाले उत्पादों की बिक्री से सालाना 200 करोड़ रुपये से अधिक कमाता है.


लिस्टिंग के साथ परेशानी


रूह अफज़ा पर हमदर्द के अधिकारों के हनन करने के अलावा पाकिस्तान के बनाए रूह अफजा उत्पादों की सूची में निर्माता के संपर्क विवरण (Contact Details) की कमी पाई गई. इसका सीधा मतलब है कि एक उपभोक्ता को भारतीय और पाकिस्तानी के बनाए रूह अफजा सिरप के बीच अंतर करना मुश्किल होगा.


कोर्ट ने 5 सितंबर के आदेश में यह भी कहा कि जब पाकिस्तान में बने रूह अफजा को इस्तेमाल करने वाले इसकी उत्पाद सूची में 'विजिट द हमदर्द स्टोर' का विकल्प चुनते हैं, तो ये उन्हें सीधे हमदर्द लैबोरेटरीज इंडिया की वेबसाइट पर ले जाता है.


इस तरह से ये भारतीय रूह अफजा के ग्राहकों को उनके खरीदे जा रहे उत्पाद के बारे में गुमराह कर सकता है. या फिर लोग ये मानने की गलती कर सकते हैं कि पाकिस्तान का हमदर्द भारतीय हमदर्द प्रयोगशालाओं से जुड़ा है. बेंच ने कहा कि ऐमजॉन एक मध्यस्थ होने का दावा करता है, जो एक ऐसा माध्यम है जो लोगों के बीच बातचीत के लिए एक मंच देता है.


इस हिसाब से इसका प्रोडेक्ट लिस्टिंग (Product Listings) में विक्रेताओं के नामों और उनसे संपर्क के ब्योरे का खुलासा करने का दायित्व बनता है. इस मामले में अदालत ने ऐमजॉन को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. ऐमजॉन से ये कहा गया है कि इस हलफनामें में वो साफ करे कि इस तरह का ब्योरा रूह अफजा प्रोडेक्ट की लिस्टिंग, इनवॉइस और उत्पाद लेबल पर दिया गया है या नहीं.


प्रोडेक्ट की लिस्टिंग से मतलब वेबसाइट के एक पेज से है.ये पेज किसी श्रेणी या खोज के आधार पर उत्पादों की सूची दिखाता हैं. यह पेज ई-कामर्स के लिए जरूरी है, क्योंकि यह साइट विज़िटर को उत्पाद के विवरण पेजों पर और उसके करीब ले जाता है. लाइव लॉ के मुताबिक कि ऐमजॉन को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है. इस मामले में अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को है.


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