Doordarshan: देश में दूरदर्शन की शुरुआत 61 साल पहले हुई थी. आजादी के बाद देश को एक ऐसे माध्यम की जरुरत महसूस हुई जो लोगों को जागरुक भी कर सकें और मनोरंज भी. सरकार की तमाम ऐसे योजनाएं थी जिनका प्रसार प्रसार न हो पाने के कारण समाज के निचले पाए दान पर बैठे व्यक्ति को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में सरकार को अपने कामों को जनता तक ले जाने के लिए दूरदर्शन की जरुरत महसूस हुई. लेकिन इसे साकार करना इतना आसान नहीं था.


दूरदर्शन की शुरूआत वैश्विक साहकारिता की भावना से हुई. देश के लिए यह एक जटिल तकनीकी पूर्ण कार्य था. जिसे यूनिस्को की मदद से गति मिली. देश में दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर 1959 को हुआ. देश में दूरदर्शन की शुरूआत कराने में यूनिस्को का बहुत बड़ा योगदान था.


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प्रसारण से पहले यूनिस्को ने भारत को इसके तकनीकी ढांचे को विकसित करने के लिए 20 हजार डॉलर की मदद दी और यही नहीं फिलिप्स कंपनी के 180 टीवी सेट भी दिए. जर्मनी ने भी दूरदर्शन को स्थापित करने में भारत की मदद की. कुछ जर्मन नागरिकों ने दूरदर्शन के लिए ब्रॉडकास्टिंग का इन्स्ट्रमेंट प्रदान किए. इससे भारत को बहुत मदद मिली. लोकप्रियता के कारण 1977 तक देश में 2 लाख 25 हजार घरों में दूरदर्शन देखा जा रहा था. आज इसकी पहुंच करोड़ों मे है.


देश में दूरदर्शन ने आते ही लोकप्रियता बना ली. लोग इसे एक चमत्कार की तरह मान रहे थे. लोगों के मन मस्तिष्क पर दूरदर्शन ने इतना गहरा असर डाला की लोगों की जीवन शैली ही बदल गई. लोगों में दूरदर्शन को लेकर ऐसा क्रेज दिखाई देने लगा कि उस जमाने में समृद्ध घरों में दूरदर्शन को लेकर ही चर्चाएं होती थीं जबकि उस जमाने में समाचार के अतिरिक्त कोई अन्य प्रोग्राम प्रसारित नहीं हुआ करते थे.

हिंदी के महान कवि सुमित्रानंदन पन्त ने ‘दूरदर्शन’नाम दिया था और इसका प्रसिद्ध लोगो डिजाइन किया था देवाशीष भट्टाचार्य ने जो उस समय नेशनल स्कूल ऑफ डिजाइन के छात्र थे. रमानंद सागर की रामायण, महाभारत, अलिफ लैला, शक्तिमान, ब्योमकेश बक्शी कुछ इसे सीरियल रहे जिसने दूरदर्शन की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया था.


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