Farhan Akhtar Secret’s : ‘दिलों में तुम अपनी बेताबी लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम, नजर में ख्वाबों की बिजलियां लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम, हवा के झोंको के जैसे आज़ाद रहना सीखो. तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो’ इन लाइन्स की गहराइयों को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि ये सिर्फ और सिर्फ एक बेहतरीन स्क्रीनराइटर ही लिख सकते हैं और वो हैं सबके फेवरेट एक्टर फरहान अख्तर. स्टारडस्ट को दिए गए एक इंटरव्यू में फरहान अख्तर ने खोले कई गहरे राज.



फेवरेट आर्टिस्ट
फरहान अख्तर एक बेहतरीन सिंगर होने के साथ-साथ एक बेहतरीन स्क्रीनराइटर भी हैं. उनके फेवरेट आर्टिस्ट अलग-अलग मूड के हिसाब से सेट होते हैं. जैसे कि ‘द बीटल्स’(The Beatles), ‘पिंकी अलोएड’(Pink Floyd), ‘द डोर्स’(The Dorce), लेकिन इन सभी में जो सबसे खास है वह है ‘डेविड ग्रे’(David Grey) का म्यूजिक. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने ‘डेविड गिलमौर’ (David Gilmore) को लंदन में लाइव सुना, तो यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था.


फरहान भी हैं किसी के फैन 
फरहान की गायकी वाकई में दिलों को छू जाती है, लेकिन फरहान अख्तर भी है कई सिंगर्स के फैन हैं. ‘मिक जैगर’(Mick Jagger), ‘एक्सल रोज’(Excel Rose) और ‘एडी वेडर’(Adi Weather). इसके अलावा उन्हें ‘पर्ल जैम’(Pearl Jam) का म्यूजिक बैंड भी काफी पसंद है. फरहान ने बताया कि उन्होंने ‘पर्ल जैम’ के ऊपर बनी एक डॉक्यूमेंट्री भी देखी है.



मूड पर डिपेंड करता है म्यूजिक
फरहान का कहना है कि म्यूजिक और गाने का तालमेल ही एक अच्छे गाने को बनाता है. हर इंसान के मूड के हिसाब से म्यूजिक होता है. इसलिए उनके हिसाब से ऐसा कोई भी गाना नहीं है, जिसे ज्यादा इम्पॉर्टेंस दी गई हो. हो सकता है कि जो म्यूजिक एक इंसान को पसंद आए, तो हो सकता है कि वह किसी दूसरे को पसंद ना आए. ये सबकुछ हर एक व्यक्ति के मूड पर डिपेंड करता है.


एकांत में सुनते हैं ये सॉन्ग्स 
कई ऐसे एलबम हैं, जो उनके फेवरेट हैं. लेकिन उन्हीं गानों को लगातार सुनना बोरियत लगने लगती है. वह एक जेल की सजा जैसा फील होने लगता है. पर हां कुछ ऐसे गाने हैं, जिन्हें वह एकांत में सुनते हैं. वो हैं ‘द डार्क साइड ऑफ द मून’ (पिंक फ्लॉयड), ‘1947 अर्थ’ (दीपा मेहता) और ‘टेन’ (पर्ल जेम्स का एलबम).


म्यूजिक नहीं है लैंग्वेज का मोहताज 
‘हर एक लम्हें से तुम मिले खोले अपनी बाहें, हर एक पल एक नया समां देखें ये निगाहें, जो अपनी आंखों में हैरानियां लेके चल रहे हो जो ज़िंदा हो तुम, दिलों में अपनी बेताबियां लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम’, फरहान का मानना है कि ज़िंदगी को खुलकर जीना चाहिए. फरहान की पसंदीदा शैली ‘रॉक’ है. फिल्म रॉकऑन में उन्होंने अपनी एक्टिंग और बेहतरीन गानों से सभी के दिलों को छू लिया. म्यूजिक ही वो चीज है, जो भाषा की मोहताज नहीं होती. भले ही भाषा समझ ना आये लेकिन इसके बावजूद म्यूजिक को सभी समझ सकते हैं और एंज्वॉय कर सकते हैं, उससे कनेक्ट हो सकते हैं.


फरहान की खात बात
फरहान ने एक खास बात और शेयर कि जिसे वह अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में अपनाते हैं और वो ये है कि ‘सभी के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है कि आप खुद से सवाल करते रहें कि आप जो कुछ कर रहे हैं, वो सही है या गलत. एक ही ये तरीका है खुद को खुद की नजर में क्लीयर रखने का’.



बचपन का किस्सा 
फरहान ने ये भी बताया कि बचपन में उन्हें भी आम बच्चों की तरह काफी लाड-प्यार मिला है और गलती होने पर सजा भी मिली है. फरहान अख्तर का कहना है कि वह बचपन में खुद को ‘जॉन मैक्लेन’ (John Maclean) समझते थे और बनावटी तौर पर अपने घर में नकली बंदूक लेकर चोरों का पीछा करने की एक्टिंग किया करते थे. एक बार की बात है जब खेल-खेल में फरहान ने अपनी बहन ज़ोया अख्तर के चेहरे पर मुक्का मार दिया था. जिससे ज़ोया को काफी तेज चोट लगी थी. उन्होंने बताया कि उनकी बहन और निर्देशिका ज़ोया अख्तर ने जब फिल्म ‘लक बाई चांस’(Luck By Chance) बनाने का फैसला 2002 में लिया था, लेकिन यह फिल्म 2009 में जाकर बनी. उन्होंने बताया कि ज़ोया काफी मेहनती हैं, लेकिन इस फिल्म को उन्हें बनाने में तकरीबन सात साल का समय लग गया जोकि उनके लिए काफी कठिन भरा समय रहा.