Kader Khan: कादर खान बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक थे . 200 से ज्यादा फिल्मों में अपनी शानदार एक्टिंग की बदौलत, दिवंगत अभिनेता ने सिनेमा प्रेमियों के दिलों में अपने लिए जगह बनाई थी. उस दौर में कादर खान का होना फिल्म की सफलता की गारंटी माना जाता था और वे हर दूसरी फिल्म में कभी कॉमेडी करते तो कभी विलेन के किरदार में नजर आते थे.


 बॉलीवुड के इस नायाब हीरे ने ने हर किरदार में जान फूंकी थी और उनके डायलॉग और कैरेक्टर आज भी याद किए जाते हैं.  दिसंबर 2018 में  इस दिग्गज अभिनेता ने हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया था. कादर आज बेशक हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्मों में निभाए गए यादगार किरदारों की वजह से वे आज भी अपने फैंस के दिलों में जिंदा है.


मुंबई की झुग्गियों से निकलकर बॉलीवुड के स्टार बने थे कादर
कादर खान अपने करियर में काफी सफल रहे थे , लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि उनका बचपन काफी गरीबी में बीता था. पर्दे पर हमेशा दर्शकों को हंसाने वाले कादर की असल जिंदगी काफी दर्दभरी रही थी उनकी कहानी जान किसी का भी दिल दहल उठेगा. उन्होंने मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों से निकलकर बॉलीवुड की चमक-दमक वाली दुनिया तक का सफर तय किया था. कादर खान ने अपनी असल जिंदगी में मानवीय कमजोरियों और भावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला देखी, जिसे बाद में उन्होंने उन फिल्मों में डाला, जिनमें उन्होंने अभिनय किया और लिखा.




कादर की शुरुआती जिंदगी ही कांटों से भरी रही थी
कादर खान की शुरुआती जिंदगी ही कांटों से भरी रही थी. बलूचिस्तान में जन्मे कादर के तीन भाई थे जिनका नाम शम्स उर रहमान, फजल रहमान और हबीब उर रहमान था. दुर्भाग्यवश, अफगानिस्तान में आठ वर्ष की आयु से पहले ही उन सभी की मौत हो गई थी. इसके बाद अपने बेटे कादर की जान बचाने की खातिर उनके माता-पिता ने भारत आने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि अफगानिस्तान की भूमि उनके बच्चों के लिए अशुभ है. उनके पिता, अब्दुल रहमान खान, कंधार, अफगानिस्तान से थे, जबकि उनकी मां, इकबाल बेगम, पिशिन से थीं.


कादर को बचपन में मांगनी पड़ी भीख
भारत आने के बाद कादर मुंबई के रेड-लाइट एरिया कमाठीपुरा की झुग्गियों में पले-बढ़े. वेश्यावृत्ति से लेकर ड्रग्स और हत्या तक, अभिनेता ने गंदी झुग्गियों में सब कुछ देख. जब वह सिर्फ तीन साल के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया, जिससे उनके लिए हालात और भी बदतर हो गए. कादर खान के असली पिता एक मौलवी और प्रोफेसर थे.


जब कादर के माता-पिता का तलाक हो गया, तो उनकी मां को दूसरे आदमी से शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. कादर खान के सौतेले पिता ने उनकी जिंदगी नरक बना दी थी.. वह अक्सर कादर से अपने असली पिता से पैसे मांगने के लिए मजबूर करते थे. कादर को अपनी मां की मदद के लिए भीख तक मांगनी पड़ी थी. वे डोंगरी में मस्जिक के बाहर भीख मांगते थे इन पैसों से उनके घर में दो वक्त की रोटी बनती थी.


कादर को पढ़ाना चाहती थीं मां
एक इंटरव्यू में कादर खान ने कहा था कि उनका परिवार हफ्ते में तीन दिन खाली पेट सोता था. गरीबी की मार से लाचार कादर खान ने छोटी उम्र में ही स्कूल छोड़ने और झुग्गी के अन्य बच्चों की तरह एक स्थानीय मिल में काम खोजने का फैसला किया. उन्होंने खुलासा किया था कि जब उनकी मां उन्हें शिक्षा के लिए मदरसे में भेजती थीं तो वह मस्जिद के पास के कब्रिस्तान में छिप जाते थे. यहां वह बैठते थे, जोर-जोर से चिल्लाते थे और मिमिक्री किया करते थे. एक दिन उनका यही शौक उन्हें बॉलीवुड में खींच लाया था.




कादर ने गरीबी से लड़ते हुए पढ़ाई भी पूरी की थी
गरीबी की मार झेलने के बावजूद कादर खान ने मुंबई के इस्माइल युसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की. इसके बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की और एक कॉलेज में प्रोफेसर लग गए. इसी दौरान उन्हें दिलीप कुमार की कॉल आई थी और उन्होंने कादर खान के नाटक को देखने की बात कही थी. दिलीप कुमार ने जब कादर खान का नाटक देखा तो वे उनसे काफी इम्प्रेस हुए और उन्होंने उन्हें फिल्मों का ऑफर दिया.


कादर ने 1973 में की थी बॉलीवुड में एंट्री
1973 में कादर खान ने बॉलीवुड में एंट्री की और इसके बाद उनके फिल्मी करियर की गाड़ी चल पड़ी.  बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ के साथ कादर खान ने मुकद्दर का सिकंदर, कालिया, कुली, शहंशाह सहित 20 से ज्यादा फिल्में की थी. वहीं कादर खान और गोविंदा की जोड़ी ने भी एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं. हालांकि कादर बाद में  कनाडा जाकर बस गए और 2018 में उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया.




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