Bollywood Film Chandni Bar: हमारे आस-पास बहुत सारी किताबे होती हैं कुछ ऐसी किताबे होती हैं, जिन्हें पुस्तकालय मिल जाता है तो कुछ ऐसी भी किताबे होती हैं जो रद्दी वाले के हवाले की जाती हैं. दरअसल हर किताब की किस्मत में लाइब्रेरी शेल्फ नहीं होता, इसलिए कुछ किताबें रद्दी के भाव बेच दी जाती हैं. हमारे समाज में अभी कई तबके हैं, कुछ तबकों को समाज इज़्जत की नज़र से देखता है तो वहीं कुछ समाज की नज़र में इज़्ज़ते के काबिल नहीं होतीं.


सेक्स वर्कर भी हमारे समाज का वो तबका है जिसे समाज इज्जत की निगाह से देखना पसंद नहीं करता है. कदम कदम पर इस तबके के साथ भेदभाव और ज्यादती होती है. इस भेदभाव को देखते हुए हिन्दी सिनेमा ने इस विषय के महत्व को समझा और कई फिल्मों का निर्माण किया. इन फिल्मों में से एक बेहतरीन फिल्म का नाम 2001 में आई मधुर भंडारकर की 'चांदनी बार' है. फिल्म में तब्बू ने मुख्य भूमिका निभाई है.


मुमताज नाम की लड़की पर आधारित है कहानी


फिल्म की कहानी मुमताज नाम की लड़की पर आधारित है, जो दंगों में अपने परिवार को खो देती है. मुमताज का एकमात्र सहारा उसके अंकल होते हैं, जिनके साथ वह मुंबई आ जाती है. मुंबई आ जाने के बाद धीरे-धीरे उसे अपने अंकल की सच्चाई पता चलती है. मुमताज़ का अंकल उसे बार डांसर बना देता है. यहां तक कि अंकल मुमताज़ के साथ ज्यादती की सारी हदें पार कर देता है. इसके बाद मुमताज की जिंदगी में पोत्या नाम का गैंग्सटर आता है, जो उससे शादी भी करता है, लेकिन उसके मरने के बाद मुमताज की जिंदगी बदल जाती है और जो वह चाहती है, सब कुछ उसका उल्टा होता है.


फिल्म के कुछ दृश्यों से एक बार डांसर के दर्द को आसानी से समझा जा सकता है, जैसे कि जब मुमताज मदद के लिए अपने पति के पहचान वालों के पास जाती है तो वह सभी लोग उसकी मदद के बजाए उसे जिस्मफरोशी का व्यापार करने की सलाह देते हैं या उसे दुत्कार देते हैं. उसे सभ्य समाज का हिस्सा मानने से इंकार कर दिया जाता हैं. यह दृश्य उसे इस बात का एहसास दिलाते हैं कि उस जैसी किताब की जगह पुस्तकालय में नहीं हैं.


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