Rajya Sabha Election 2024: राज्यसभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवारों के नाम तय हो चुके हैं. 15 राज्यों की 56 सीटों के लिए कुल 59 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं. 27 फरवरी को मतदान के बाद नतीजे आएंगे और यह साफ हो जाएगा कि किन तीन उम्मीदवारों को हार मिली है. राज्यसभा चुनाव के गणित को देखते हुए 53 उम्मीदवारों की जीत तय है. सिर्फ छह ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनकी हार या जीत इस बात पर निर्भर है कि इन चुनाव में कितनी क्रॉस वोटिंग होती है. यहां हम बता रहे हैं कि क्रॉस वोटिंग क्या है और इससे पहले कब-कब ऐसा हुआ है.


क्रॉस वोटिंग का मतलब समझने के लिए पहले जानते हैं कि राज्यसभा चुनाव कैसे होते हैं. हर राज्य की आबादी के आधार पर राज्यसभा सांसदों की सीटें तय हैं. राज्य के विधायक वोट देकर अपना राज्यसभा सांसद चुनते हैं. राज्य में राज्यसभा सांसद की सीटों और विधायकों की संख्या के आधार पर तय होता है कि जीत के लिए एक सदस्य को कितने मत चाहिए होते हैं. जैसे कि यूपी में 399 विधायक हैं और 10 सीटों पर राज्यसभा सांसद का चयन होना है. ऐसे में एक उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 37 वोट मिलना जरूरी है.


क्या होती है क्रॉस वोटिंग?
राज्यसभा चुनाव के दौरान हर पार्टी के विधायक अपना मत तय करते हैं और इसे पार्टी के मुखिया को दिखाते हैं. इसके बाद उसे सभापति के पास जमा कर दिया जाता है. जब विधायक अपनी पार्टी के उम्मीदवार की बजाय किसी अन्य उम्मीदवार को वोट दे देता है, तो उसे क्रॉस वोटिंग कहते हैं. 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के आसार हैं. क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक को पार्टी से निकाला भी जा सकता है. हालांकि, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग होती रही है.


कब-कब हुई क्रॉस वोटिंग?
पहली बार 1998 में क्रॉस वोटिंग हुई थी. कांग्रेस प्रत्याशी की हार के बाद ओपेन बैलेट का नियम भी लाया गया, जिसके कारण हर विधायक को अपना मत पार्टी के मुखिया को दिखाना होता है, लेकिन क्रॉस वोटिंग अभी भी होती है.


2022 में हरियाणा के कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई ने क्रॉस वोटिंग की थी. वह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. इसी चुनाव में राजस्थान से बीजेपी नेता शोभारानी कुशवाह ने भी क्रॉस वोटिंग की थी. वह भी पार्टी से निकाल दी गईं.


2016 में उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के छह नेताओं ने बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग की थी. पार्टी ने सभी को निष्कासित कर दिया था. 2017 में कांग्रेस की अपील पर दो नेताओं के वोट खारिज हो गए थे, क्योंकि इन दोनों ने अपना बैलेट पेपर अमित शाह को दिखाया था. इसके बाद कांग्रेस के अहमद पटेल राज्यसभा सांसद बने थे.


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