Lok Sabha Elections 2024: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद डॉ. हर्षवर्धन ने सक्रिय राजनीति से रविवार (3 मार्च, 2024) को संन्यास का ऐलान किया. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची के ठीक एक रोज बाद हर्षवर्धन ने यह कदम उठाया. पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची में कुल 195 उम्मीदवारों के नाम थे लेकिन हर्षवर्धन का नाम नहीं था. वह दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद हैं और इस सीट पर उनकी जगह प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया गया है.


डॉ. हर्षवर्धन को कथित तौर पर पार्टी ने टिकट देने से मना कर दिया. आगे उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ने का फैसला किया है. उन्होंने तय किया कि वह फिर से एक सर्जन के रूप में सेवाएं देंगे और जनता की सेवा करेंगे. आइए जानते हैं कि राजनीति में आने से पहले वह क्या करते थे, जहां वह फिर से लौटने जा रहे हैं:


यूपी के कानपुर से पूरी की पढ़ाई


13 जनवरी 1954 को दिल्ली में जन्मे डॉ. हर्षवर्धन की शुरुआती पढ़ाई एंग्लो-संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई. वह इसके बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां उन्होंने उच्च शिक्षा पूरी की. उनके पास एम.बी.बी.एस और एम.एस की डिग्री है. वह ईएनटी सर्जन हैं. पंडित दीनदयाल के विचारों से प्रभावित हर्षवर्धन हमेशा से ही जनसेवा के लिए तत्पर थे. 


राजनीति में कैसे आए?


जनसेवा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों के कहने पर वह राजनीति में आए. दिल्ली में पहली बार बीजेपी सत्ता में आई तो हर्षवर्धन स्वास्थ्य मंत्री बने. उन्होंने दिल्ली में पोलियो उन्मूलन में अहम भूमिका निभाई. मई, 1998 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन्हें डायरेक्टर जनरल्स कमेंडेसन मेडल’ से सम्मानित किया. इसके बाद वह लगातार विधायक बनते रहे और 2014-2019 में सांसद भी बने. एक बार दिल्ली सरकार और दो बार केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहने के बाद हर्षवर्धन अब फिर से सर्जन की भूमिका में नजर आएंगे.


अब कहां मिलेंगे डॉ. हर्षवर्धन


डॉ. हर्षवर्धन पोस्ट में लिखा कि वह अब और इंतजार नहीं कर सकते. कृष्णा नगर में उनका ईएनटी क्लीनिक भी उनका इंतजार कर रहा है. ईएनटी सर्जन सिर और कान से जुड़ी सर्जरी में माहिर होते हैं. आमतौर पर सुनने में समस्या होने पर ऐसे सर्जन की जरूरत पड़ती है. डॉ. हर्षवर्धन करियर की शुरुआत में एक सर्जन के रूप में लोगों की सेवा करते थे और अब वह फिर से इसी काम के जरिए जनसेवा करने जा रहे हैं.

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