Lok Sabha Elections First Phase Voting: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण की वोटिंग कल शुक्रवार (19 अप्रैल) को होगी. मतदाता अपने उम्मीदवार की किस्मत ईवीएम कैद कर देंगे जिसका फैसला 4 जून को होगा. इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीति चरम पर है. बीजेपी के दो प्रमुख चेहरे संगीत सोम और संजीव बालियान जातिगत आधार पर आपसी झगड़े में लगे हुए हैं.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ये इलाका न तो जाट बेल्ट है समुदाय है, खासतौर पर गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, सहारनपुर, मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मोरादाबाद, संभल, अलीगढ़, हाथरस और मथुरा जैसे इलाकों में.


संजीव बालियान और संगीत सोम के विवाद से गरमाई पश्चिमी यूपी की राजनीति


माना जाता है कि सालों से राजपूत बीजेपी के प्रति काफी वफादार रहे हैं. मगर, राजपूत समाज को गाजियाबाद से पूर्व सांसद रिटायर जनरल वीके सिंह का टिकट कटना और एके गर्ग को टिकट देना ठीक नहीं लगा है. इस बीच संगीत सोम और संजीव बालियान का विवाद सुर्खियों में छाया हुआ है.


जहां एक ओर जाट नेता संजीव बालियान ने कहा, "पार्टी देख रही है कि कौन क्या कह रहा है. वह चुनाव के बाद फैसला लेगी. दूसरी ओर, संगीत सोम ने कहा, "संजीव बालियान कौन है? मुझे नहीं पता कि वह कौन हैं." हाल ही में दोनों नेताओं की मेरठ में सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद एक-दूसरे के खिलाफ उनका रुख नरम होता दिख रहा है.


संजीव बालियान को करना पड़ा विरोध का सामना


रिपोर्ट के अनुसार, संजीव बालियान को कथित तौर पर राजपूतों की अनदेखी करने और जाटों को खुश करने के लिए उनके विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान सोम चौबीसी (सोम राजपूतों के 24 गांव) के राजपूत बाहुल्य वाले इलाके के गांव में जाने के दौरान बालियान को विरोध का सामना करना पड़ा. साथ ही उनके काफिले पर पथराव हुआ. जहां संगीत सोम का इन ग्रामीणों से सीधा संबंध है, वहीं बालियान ने संगीत सोम पर इस घटना में शामिल होने का आरोप लगाया. इस जुबानी जंग में संगीन सोम ने भी बालियान पर जातिवादी होने का आरोप लगाया. बालियान के लिए स्थिति अब और खराब हो गई है क्योंकि राजपूत गांवों ने 5 साल तक समुदाय की अनदेखी करने के लिए उनका  बहिष्कार कर दिया है.


BJP ने की राजपूत समुदाय की अनदेखी 


मुजफ्फरनगर में जाटों की संख्या के बराबर राजपूत 8 प्रतिशत ज्यादा हैं, ऐसे में राजपूत समाज अगर चुनाव में बीजेपी से किनारा करता है तो इलाके के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. इस बीच राजपूत समाज से ताल्लुक रखने वाले नेता पूरन सिंह का कहना है, "हम बीजेपी से गारंटी चाहते हैं कि क्या हमारे समुदाय का भविष्य सुरक्षित है. इन हालातों में हम बीजेपी को अपना प्रतिनिधित्व को खत्म करने की परमिशन नहीं दे सकते हैं. आज गाजियाबाद सीट से जनरल वीके सिंह को हटाया गया है, हो सकता हो कि कल अन्य समुदायों को खुश करने के लिए हमारी राजनीतिक भागीदारी को खत्म कर दिया जाए."


साथ ही पूरन सिंह ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने राजपूत समाज की अनदेखी कर जाटों और गुज्जरों को ज्यादा टिकट बांटे हैं, ताकि उन्हें बीजेपी के पाले में लाया जा सके.


क्या है मामला?


दरअसल, पिछले महीने गुजरात में राजकोट से बीजेपी कैंडिडेट पुरुषोत्तम रूपाला ने वाल्मिकी समाज के एक कार्यक्रम में राजपूतों के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था, "जब अंग्रेजों ने सभी भारतीयों पर अत्याचार किया तो राजपूत रियासतों के लोग अंग्रेजों के सामने झुक गए, उनके साथ भाईचारा बढ़ाया और यहां तक ​​कि अपनी बेटियों की शादी भी साम्राज्यवादियों से कर दी." हालांकि उन्होंने इसके लिए माफी मांगी है. 


'डैमेज कंट्रोल' में जुट गई है बीजेपी


जहां एक ओर बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सहारनपुर में रैली की, वहीं योगी आदित्यनाथ ने राजपूतों को मनाने के लिए सरधना में रैली की. योगी आदित्यनाथ की अगली रैली राजपूत बहुल बेल्ट ग्रेटर नोएडा के जेवर इलाके में भी करने की योजना है. इन तमाम कोशिशों के बावजूद जमीन में राजपूत समुदाय को लेकर असंतोष बढ़ रहा है. ऐसे में राजपूतों के 144 गांव भी बीजेपी के खिलाफ विद्रोह में शामिल हो गए.


जिन गांवों को पारंपरिक बीजेपी का वोटर माना जाता था, अब वो भी मोदी सरकार की अग्निपथ योजना और ईडब्ल्यूएस छूट जैसे मुद्दों पर बीजेपी के खिलाफ बैठकें कर रहे हैं, जिसे वे समान अवसर के अलावा मांग कर रहे हैं.


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