Assembly Election 2023: पांच राज्यों में अगले महीने से विधानसभा के चुनाव शुरू हो जाएंगे. हर राज्य में सभी दल अपनी-अपनी तरफ से जीत की पूरी कोशिश कर रहे हैं. किसी ने सीएम फेस की घोषणा कर दी है तो कोई चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदार का नाम बताने की बात कह रहा है. आमतौर पर लोग ये समझते हैं कि विधानसभा चुनाव लड़ने वाला और उसमें जीत दर्ज करने वाला ही किसी राज्य का सीएम बन सकता है, लेकिन यह सच नहीं है.

दरअसल, सीएम बनने के लिए जरूरी नहीं है कि उक्त नेता चुनाव में उस वक्त खड़ा हुआ हो या जीता हुआ हो. ऐसा व्यक्ति भी सीएम बन सकता है जो चुनाव में न तो खड़ा हुआ है और न ही जीता है, हालांकि सीएम पद की शपथ लेने के 6 महीने के अंदर उसे सदन की सदस्यता दिखानी होती है. यानी उसे इन 6 महीनों के अंदर किसी सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल करनी होगी. बिना सदस्यता के वह छह महीने से ज्यादा सीएम नहीं रह सकता.

क्या कहता है नियम

संविधान के मुताबिक, किसी भी राज्य का सीएम बनने के लिए उक्त नेता का विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में दो सदन हैं) का मेंबर होना अनिवार्य है. हालांकि कोई भी बिना सदस्य रहे या चुनाव हारकर भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकता है. बस उसे 6 महीने के अंदर सदस्यता दिखानी होती है. शपथ लेने के 6 महीने के अंदर अगर वह सदन की सदस्यता नहीं दिखा पाता है तो उसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. यही नियम संसद में पीएम पद के लिए भी लागू होता है.

इस तरह बने रह सकते हैं सीएम

नियम कहता है कि चुनाव के बाद बहुमत वाला दल किसी भी नेता को चुनकर उसका नाम राज्यपाल के पास सीएम के लिए भेज सकता है. इसके बाद राज्यपाल उसे सीएम पद की शपथ दिलाता है. शपथ लेने के बाद उसे सदन की सदस्यता साबित करने के लिए 6 महीने का समय मिलता है. इस दौरान उसकी पार्टी का कोई जीता हुआ नेता उस सीट से इस्तीफा दे देता है. इसके बाद वहां फिर से चुनाव की स्थिति बनती है. दोबारा चुनाव में उस नेता को वहां से चुनाव लड़ाया जाता है जिसे सीएम बनाया गया है. इसके बाद चुनाव जीतकर वह अपनी सदस्यता साबित कर देता है और पद को आगे जारी रख सकता है.

कई बड़े नाम इस तरह बन चुके हैं सीएम और पीएम

यहां हम आपको कई ऐसे बड़े नेताओं के बारे में बता रहे हैं जो चुनाव हारने के बाद भी या फिर बिना विधानसभा के सदस्य रहे सीएम पद की शपथ ले चुके हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम ममता बनर्जी का है. पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से हार गईं थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने सीएम पद की शपथ ली. हालांकि 6 महीने के अंदर उन्होंने किसी और सीट से जीत दर्ज कर सदस्यता ग्रहण कर ली.

इसी तरह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी किया. पहली बार जब उन्हें सीएम बनाया गया, तब वह सांसद थे. उनके पास यूपी विधानसभा की सदस्यता नहीं थी. उन्होंने बिना सदस्य रहे शपथ ली औऱ 6 महीने के अंदर सदस्यता साबित की. इनके अलावा महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे, बिहार में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और राबड़ी देवी, मध्य प्रदेश में कमलनाथ और उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत बिना सदस्य रहे सीएम पद ग्रहण कर चुके हैं. इसके अलावा मनमोहन सिंह भी इसी तरह पीएम बने थे.

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